भोपाल। यूपीएससी की तैयारी कर रही छात्रा के साथ गैंगरेप में सामने आई पुलिस की लापरवाही के बाद पुलिस विभाग की समीक्षा शुरू हो गई है। सोशल मीडिया पर ऐसी हजारों प्रतिक्रियाएं आ रहीं हैं जिनमें बताया जा रहा है कि पुलिस मामले दर्ज करने में कितनी आनाकानी करती है। मंदसौर गोली कांड में भी खुलासा हुआ था कि एसपी की जानकारी के बिना फायरिंग हुई। टीकमगढ़ में किसानों को नंगा करके पीटने वाले मामले में भी एसपी को कुछ पता नहीं था। चौंकाने वाली बात यह है कि इसके बावजूद एसपी ने आरोपी अधिकारियों को बचाने की कोशिश की। शिकायतें मिल रहीं हैं कि थानों में पुलिस अभद्र व्यवहार करती है। एसपी आॅफिसों में शिकायतों पर पावती ही नहीं मिलती।
भोपाल में एक और दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज नहीं हुई
गैंगरेप मामले में 6 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो जाने के बावजूद पुलिस का ढर्रा जस का तय बना हुआ है। गुरुवार को हबीबगंज थाने में ही एक और मामला प्रकाश में आया। यह 12 नंबर बस स्टॉप निवासी एक नाबालिग के साथ ज्यादती का केस है। गौरवी वन स्टॉप क्राइसिस ने गुरुवार की शाम पांच बजे हबीबगंज पुलिस को लिखित सूचना दी कि नाबालिग के साथ रेप हुआ है। एफआईआर करें। इसके बावजूद शुक्रवार देर रात तक एफआईआर दर्ज हो पाई। यानी 36 घंटे बाद। पीड़िता ने बताया कि घटना मार्च की है लेकिन उसने डर की वजह से किसी को यह बात नहीं बताई। गौरवी की कोआॅर्डिनेटर शिवानी सैनी ने बताया कि मेडिकल में ज्यादती की पुष्टि हुई है।
टीआई को पता ही नहीं एसआई ने क्या कर दिया
भोपाल गैंगरेप मामले में पीड़िता एमपी नगर थाने पहुंची थी। एसआई टेकराम ने उसे अटेंड किया। एसआई पीड़िता के साथ घटना स्थल पर भी गया और फिर यह कहकर पीड़िता का भगा दिया कि यह हमारे थाने का क्षेत्र नहीं है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि टीआई संजय सिंह बैस को इसके बार में कोई जानकारी ही नहीं थी। यह जीता जागता प्रमाण है कि पुलिस किस हद तक बेलगाम हो गई है।
डीआईजी की सभी टीआई को चेतावनी
डीआईजी संतोष सिंह ने कहा कि आपको पता होना चाहिए कि थाने में क्या हो रहा है? कौन आता है? कौन जाता है? कमरे में खुद को बंद करके ना रखें। खिड़की के पर्दे और काली फिल्म को उतार दें। शुक्रवार रात सभी थाना प्रभारियों से उन्होंने साफ तौर से कहा कि सभी टीआई को पता होना चाहिए कि थाने में क्या हो रहा है।