भोपाल। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवासहीन लोगों को पक्का घर बनाने के लिए आर्थिक मदद दी जा रही है। मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में आदिवासी जनजाति सहरिया के एक युवक को भी इस योजना के तहत पैसा दिया गया था परंतु उसने इस पैसे से घर नहीं बनाया बल्कि घरवाली को तलाश करने में खर्च कर दिया। अब वो चाहता है कि उसे घर बनाने के लिए दूसरी किश्त भी दी जाए। उसका कहना है कि घरवाली के बिना घर का क्या औचित्य।
दरअसल शंकर ने प्रधानमंत्री आवास योजना से घर बनाने के लिए फंड स्वीकृत कराया था। उसके अकाउंट में स्कीम की पहली किश्त बैंक ने भेज भी दी। पहली किश्त मिलते ही शंकर अचानक गायब हो गया। मामला अधिकारियों की नजर में तब आया जब अधिकारी स्वच्छ शौचालय और आवास योजना की समीक्षा बैठक कर रहे थे।
खिरखिरी पंचायत के सचिव राजेंद्र गुर्जर शंकर से जाकर मिले। उन्होंने शंकर से बात की तो उसने कहा कि उसे घर के लिए घरवाली की जरूरत है। घरवाली से ही उसका घर पूरा होगा। उसने पहली किश्त की रकम घरवाली ढूंढने पर खर्च कर दी है। अब वो घर बनाने के लिए दूसरी किश्त की मांग कर रहा है। मौके पर पहुंचे अधिकारी लौटने के बाद भी कंफ्यूज हैं कि वो हिताग्राही पर गुस्सा करें या नहीं, क्योंकि हंसी तो अब तक रुक ही नहीं रही।