मोदी कैबिनेट मीटिंग के निर्णय | | NARENDRA MODI CABINET MEETING DECISION 22 NOV 2017

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सर्वोच्‍च न्‍यायालय और उच्‍च न्‍यायालयों के न्‍यायाधीशों और सर्वोच्‍च न्‍यायालय और उच्‍च न्‍यायालयों के सेवानिवृत्‍त न्‍यायाधीशों के लिए संशोधित वेतन, ग्रेच्‍यूटी, भत्‍तों और पेंशन की मंजूरी दी। यह कदम केन्‍द्रीय कर्मचारियों के लिए गठित सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्‍वयन के अनुपालन में हुआ है। इस मंजूरी से भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश (सीजेआई), भारत के सर्वोच्‍च न्‍यायालय के न्‍यायाधीशों, उच्‍च न्‍यायालयों के मुख्‍य न्‍यायाधीशों और सभी न्‍यायाधीशों के वेतन को प्रशासित करने वाले दो कानूनों नामत: सर्वोच्‍च न्‍यायालय न्‍यायाधीश (वेतन एवं सेवा शर्त) अधिनियम, 1958 और उच्‍च न्‍यायालय न्‍यायाधीश (वेतन एवं सेवा शर्त) अधिनियम 1954 में आवश्‍यक संशोधन करने का मार्ग प्रशस्‍त हो गया है।

वेतन एवं भत्‍तों आदि में बढ़ोत्‍तरी से भारत के सर्वोच्‍च न्‍यायालय के 31 न्‍यायाधीशों (सीजेआई सहित) और उच्‍च न्‍यायालयों 1079 न्‍यायाधीशों को फायदा मिलेगा। इसके साथ-साथ लगभग 2500 सेवानिवृत्‍त न्‍यायाधीशों को भी पेंशन/ग्रेच्‍यूटी में संशोधन के कारण फायदा मिलेगा।

संशोधित वेतन, गेच्‍यूटी, पेंशन और परिवार पेंशन में संशोधन 01.01.2016 से लागू होगा और  बकाया राशि एकमुश्‍त भुगतान के रूप में प्रदान की जाएगी।

15वें वित्‍त आयोग का गठन करने के लिए मंजूरी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15वें वित्‍त आयोग का गठन करने के लिए मंजूरी प्रदान की है। भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 280 (1) के अंतर्गत यह संवैधानिक बाध्‍यता है। 15वें वित्‍त आयोग की शर्तों को आने वाले समय में अधिसूचित किया जाएगा। 

मजदूरी नीति को मंजूरी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमडल ने केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) के कामगारों के लिए मजदूरी समझौते के आठवें चरण के लिए मजदूरी नीति को मंजूरी दी है।

मुख्‍य विशेषताएं –
I. संबंधित सीपीएसई के लिए मजदूरी संशोधन की किफायतता और वित्‍तीय धारणीयता को ध्‍यान में रखते हुए ऐसे सीपीएसई का प्रबंधन ऐसे कामगारों के मजदूरी में संशोधन करने के लिए स्‍वतंत्र होगा, जहां पाँच वर्षों या दस वर्षों की मजदूरी अदायगी की अवधि दिनांक 31.12.2016 को समाप्‍त हो गई है।
II.     सरकार द्वारा मजदूरी में बढ़ोतरी के लिए कोई भी बजटीय सहायता नहीं दी जाएगी। सम्‍पूर्ण वित्‍तीय भार संबंधित सीपीएसई द्वारा उसके आंतरिक संसाधनों से वहन किया जाएगा।
III.     जिन सीपीएसई के लिए सरकार ने पुनर्सरंचना/पुनर्उत्‍थान योजना के लिए मंजूरी  दे दी है, उनमें मजदूरी में संशोधन मंजूर की गई पुनर्सरंचना/पुनर्उत्‍थान योजना के प्रावधानों के अनुसार ही किया जाएगा।
IV.     संबंधित सीपीएसई के प्रबंधन को यह सुनिश्चित करना होगा कि वेतन के पराक्रमित स्‍केल उसके एक्‍जेक्‍यूटिव/अधिकारियों और गैर-यूनियनकृत अधीक्षकों के वर्तमान वेतनमान से अधिक नहीं होंगे।
 V.     जिन सीपीएसई के प्रबंधन में 5 वर्षों की आवधिकता को अपनाया गया है, उन्‍हें यह सुनिश्‍चित करना होगा कि दो उत्‍तरवर्ती मजदूरी समझौतों के पराक्रमित वेतन स्‍केल संबंधित सीपीएसई के एक्‍जेक्‍यूटिव/अधिकारियों और गैर-यूनियनकृत अधीक्षकों के वर्तमान वेतनमान से अधिक नहीं होंगे, जिनके लिए 10 वर्षों की आवधिकता का अनुपालन किया जा रहा है।
VI.     एक्‍जेक्‍यूटिव/अधिकारियों और गैर-यूनियनकृत अधीक्षकों के वर्तमान वेतनमान के साथ अपने कामगारों के वेतनमान टकराव से बचने के लिए, सीपीएसई मजदूरी समझौते के दौरान वर्गीकृत महंगाई भत्‍ता तटस्‍थता और/या वर्गीकृत निर्धारण को अपनाने पर विचार कर सकते हैं।
VII.     सीपीएसई को यह सुनिश्चित करना जरूरी है समझौते के बाद मजदूरी में कोई भी बढ़ोतरी से उनकी वस्‍तुओं और सेवाओं की प्रशासित कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी।
VIII.     मजदूरी संशोधन इस शर्त के अधीन किया जाएगा कि उत्‍पादन की प्रति भौतिक इकाई की मजदूरी लागत में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। कुछ विशेष मामलों को छोड़कर जहां सीपीएसई पहले से ही ईष्‍टतम क्षमता पर काम कर रही हो, वहां प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग उद्योग के मानदंडों पर विचार करते हुए डीपीई पर सुझाव दे सकता है।
IX.     मजदूरी समझौते की वैधता अवधि ऐसे लोगों के लिए कम से कम पाँच साल होगी, जिन्‍होंने पाँच वर्ष की आवधिकता का चयन किया है और जिन व्‍यक्तियों ने मजदूरी समझौते की आवधिकता के लिए 10 वर्ष की अवधि का चयन किया है उनके लिए अधिकतम अवधि 10 वर्ष होगी। यह दिनांक 1.1.2017 से लागू होगी।
X.     सीपीएसई समझौता की गई मजदूरियों को अपने प्रशासनिक मंत्रालय / विभाग के साथ यह सुनिश्चित करने के पश्‍चात ही लागू करेगी कि मजदूरी समझौता मंजूर किए गए मानदंडों के अनुरूप है।

भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान संबंधी योजना को जारी रखने के लिए मंजूरी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अन्य तीन वित्तीय वर्षों (वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर 2019-20 तक) के लिए भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) योजना को जारी रखने और संस्थान को 18 करोड़ रुपए का सहायता अनुदान प्रदान करने के लिए अपनी मंजूरी प्रदान की है।  इससे वित्त वर्ष 2019-20 के अंत तक यह संस्थान आत्मनिर्भर बन सकेगा।

प्रभाव:  
· कॉरपोरेट गवर्नेंस के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सार्वजनिक औऱ निजी क्षेत्र की भागीदारी से संस्थान द्वारा संचालित किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम, अनुसंधान गतिविधियाँ और परियोजनाएं कौशल का विकास करेगी और इसके परिणामस्वरुप विद्यार्थियों की नियोजनीयता और पेशेवरता में भी बढ़ोतरी होगी।
· संस्थान का मुख्य उद्देश्य अपने संसाधन और राजस्व में बढ़ोतरी करते हुए कॉरपोरेट कानून के क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्थान बनाना है।
· यह परिकल्पना की गई है कि आईआईसीए  एक राष्ट्रीय महत्व का संस्थान बनेगा जिसके परिणामस्वरुप यह विकास का इंजन बनेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों में भी विस्तार होगा।
· पेशवर क्षमता में सुधार होने से विदेशों सहित उभरते हुए कॉरपोरेट क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को प्राप्त करने में पेशेवरों की भी मदद होने की प्रत्याशा है।

भारत और फिलिपींस करार को मंजूरी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और फिलिपींस के बीच सीमा शुल्‍क मामलों में सहयोग और परस्‍पर सहायता के लिए करार को मंजूरी दी। इस करार से सीमा शुल्‍क संबंधी अपराधों को रोकने में और उनकी जाँच करने के लिए उनके बारे में प्रासंगिक सूचना की उपलब्‍धता में मदद मिलेगी। इस प्रस्‍तावित करार से दोनों देशों के बीच व्यापार सुगम होगा और व्‍यापार की वस्‍तुओं की कुशल क्लियरेंस भी सुनिश्चित होने की आशा है। दोनों देशों द्वारा इस करार में प्रवेश करने के लिए अपेक्षित राष्ट्रीय कानूनी जरूरतों को पूरा किए जाने के पश्चात् ये करार लागू होगा।

भारत-रूस करार पर हस्‍ताक्षर करने की मंजूरी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आतंकवाद के सभी रूपों और संगठित अपराध से निपटने के क्षेत्र में भारत और रूस के बीच सहयोग के लिए एक करार पर हस्‍ताक्षर करने के लिए अपनी मंजूरी दी है। इस करार पर गृहमंत्री के नेतृत्‍व में दिनांक 27 से 29 नवंबर, 2017 को रूस में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की आगामी यात्रा के दौरान हस्‍ताक्षर होना प्रस्‍तावित है।

प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र नामक नई स्‍कीम प्रस्‍तुत करने की मंजूरी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने अम्‍ब्रेला स्‍कीम महिलाओं के लिए सुरक्षा और सशक्‍तिकरण मिशन का महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की योजनाओं के विस्‍तार के लिए वर्ष 2017-18 से लेकर 2019-20 की अवधि के लिए अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। सीसीईए ने ‘प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र (पीएमएमएसके)’ नामक नई स्‍कीम को भी मंजूरी प्रदान की है, जो सामुदायिक भागीदारी के माध्‍यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्‍त करेगी, जिससे कि एक ऐसा परिवेश बनाया जा सके, जिसमें वह अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग कर सके। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत विस्‍तार को भी 161 जिलों में सफल कार्यान्‍वयन के आधार पर मंजूरी प्रदान की गई है। 2017-18 से लेकर 2019-20 के दौरान वित्‍तीय परिव्‍यय 3636.85 करोड़ रुपये होगा, जिसमें केंद्र सरकार का हिस्‍सा लगभग 3084.96 करोड़ रुपये होगा।

स्‍कीम के फायदे:
मंजूर की गई उप-योजनाएं सामाजिक कल्‍याण क्षेत्र, विशेषकर महिलाओं की देखभाल, सुरक्षा और विकास की योजनाएं हैं। इसका लक्ष्‍य घटते हुए लिंगानुपात में सुधार करना, नवजात कन्‍या की उत्‍तरजीविता और सुरक्षा को सुनिश्चित करना, उसकी शिक्षा को सुनिश्चित करना और उसकी क्षमता को पूर्ण करने के लिए उसे सशक्‍त बनाना है। यह ग्रामीण महिलाओं को उनके अधिकारों को प्राप्‍त करने हेतु सरकार से संपर्क करने के लिए इंटरफेस प्रदान करेगा और यह प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के माध्‍यम से उन्‍हें सशक्‍त बनाएगी। स्‍वेच्‍छाकर्मी विद्यार्थी स्‍वैच्छिक सामुदायिक सेवा और लैंगिक समानता की भावना को प्रोत्‍साहित करेंगे। यह विद्यार्थी ‘बदलाव के एजेंटों’ के रूप में कार्य करेंगे और इनका समुदायों और देश पर अभूतपूर्व प्रभाव पड़ेगा।

अम्‍ब्रेला स्‍कीम के मुख्‍य कार्यकलाप:
प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र (पीएमएमएसके) नई स्‍कीम की परिकल्‍पना विभिन्‍न स्‍तरों पर कार्य करने के लिए की गई है, जबकि राष्‍ट्रीय स्‍तर (क्षेत्र आधारित ज्ञान सहायता) और राज्‍य स्‍तर (महिलाओं के लिए राज्‍य संसाधन केंद्र) संरचनाएं महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर संबंधित सरकार को तकनीकी सहायता प्रदान करेगी, जिला और ब्‍लॉक-स्‍तरीय केंद्र एम.एस.के को सहायता प्रदान करेंगे और यह चरणबद्ध तरीके से कवर किए जाने वाले 640 जिलों में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) को आधार प्रदान करेंगे।

स्‍वेच्‍छाकर्मी विद्यार्थियों के माध्‍यम से सामुदायिक सेवा की परिकल्‍पना एम.एस.के खंड-स्‍तरीय पहलों के भार के रूप में 115 अत्‍यधिक पिछड़े जिलों में परिकल्पित की गई है। स्‍वेच्‍छाकर्मी विद्यार्थी विभिन्‍न महत्‍वपूर्ण सरकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता सृजन करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस प्रक्रिया में स्‍थानीय कॉलेजों से लगभग तीन लाख से भी अधिक स्‍वेच्‍छाकर्मी विद्यार्थियों को लगाया जाएगा, जबकि एनएसएस/एनसीसी कैडर के साथ विद्यार्थियों का सहयोग एक जिम्‍मेदार नागरिक के रूप में राष्‍ट्र निर्माण में योगदान देने का एक अवसर भी होगा। यह स्‍वेच्‍छाकर्मी विद्यार्थियों को उनके अपने समुदायों में बदलाव लाकर विकास प्रक्रिया में भागीदारी करने का अवसर प्रदान करेगा और इससे वे सुनिश्चित कर सकेंगे कि भारत की प्रगति में कोई भी महिला पीछे न रह जाए और महिलाएं भी समान रूप से भागीदारी है।

स्‍वेच्‍छाकर्मी विद्यार्थियों के कार्यकलापों पर आधारित प्रमाण को वैब आधारित प्रणाली के माध्‍यम से मॉनीटर किया जाएगा। कार्य समाप्ति पर सामुदायिक सेवा के प्रमाण-पत्रों को सत्‍यापन के लिए राष्‍ट्रीय पोर्टल पर दर्शाया जाएगा और प्रतिभागी विद्यार्थी भविष्‍य में इन्‍हें अपने संसाधन के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

निरंतर राष्‍ट्रव्‍यापी पक्ष समर्थन और 640 जिलों में मीडिया अभियान और चयनित 405 जिलों में बहुक्षेत्रीय कार्यवाही के माध्‍यम से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) के लिए विस्‍तार और प्रयासों में तीव्रता के लिए भी मंजूरी दी गई है। उन सभी जिलों को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत पहले वर्ष शामिल किया जाएगा, जिन जिलों में सीएआर काफी कम है। कामकाजी महिलाओं को सहायता प्रदान करने के लिए लगभग 190 से अधिक कामकाजी महिला हॉस्‍टलों की स्‍थापना की जाएगी, जिनमें लगभग 19 हजार महिलाएं रह सकेंगी। लगभग 26,000 लाभार्थियों को राहत और पुनर्वास प्रदान करने के लिए अतिरिक्‍त स्‍वाधार गृहों को भी मंजूरी दी गई है।

हिंसा से पीड़ित महिलाओं को समावेशी सहायता प्रदान करने के लिए इस अवधि के दौरान 150 अतिरिक्‍त जिलों में वन स्‍टॉप सेंटरों (ओएससी) की स्‍थापना की जाएगी। इन वन स्‍टॉप सेंटरों को महिला हेल्‍पलाइन के साथ जोड़ा जाएगा और देशभर में सार्वजनिक और निजी दोनों स्‍थानों पर हिंसा से पीडि़त महिलाओं को 24 घंटे का आपातकालीन एवं गैर आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली प्रदान की जाएगी। राज्‍यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों में स्‍वैच्छिक आधार पर महिला पुलिस स्‍वेच्‍छाकर्मियों (एमपीवी) को संलग्‍न करके एक अद्वितीय पहल शुरू की जाएगी, जिससे कि जनता-पुलिस संपर्क स्‍थापित किया जा सके। सभी राज्‍यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों को कवर करते हुए 65 जिलों में इसका विस्‍तार दिया जाएगा।

योजना की मॉनिटरिंग और मूल्‍यांकन:
इस योजना के तहत सभी उप-योजनाओं की योजना, समीक्षा और मॉनिटरिंग के लिए राष्‍ट्रीय, राज्‍य और जिलास्‍तर पर एक सामान्‍य कार्यबल गठित किया जाएगा, जिसका उद्देश्‍य कार्यवाही के कनवर्जन्‍स और लागत प्रभाविकता को सुनिश्चित करना है। प्रत्‍येक योजना का एसडीजी के अनुरूप दिशा-निर्देशों में स्‍पष्‍ट एवं केंद्रित लक्ष्‍य निर्धारित होगा। नीति आयोग द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार सभी उप-योजनाओं के लिए सूचकों पर आधारित परिणाम की मॉनिटरिंग के लिए तंत्र की स्‍थापना भी की जाएगी। इन योजनाओं को राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों और कार्यान्‍वयन एजेंसियों के माध्‍यम से क्रियान्वित किया जाएगा। सभी उप-योजनाओं का केंद्रीय स्‍तर, राज्‍य, जिला और खंड स्‍तर पर एक अंतरनिर्हित मॉनिटरिंग ढांचा होगा।

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