एसआई कैलाश पाटीदार के हाथ आया था व्यापमं घोटाले का पहला सिरा | MP NEWS

भोपाल। पिछले 5 साल में भारत का सबसे चर्चित व्यापमं घोटाला, जिसने करीब 1.5 लाख योग्य युवाओं को सरकारी नौकरी तक पहुंचने ही नहीं दिया का खुलासा इंदौर क्राइम ब्रांच में आए एक अज्ञात फोन से हुआ था। एसआई कैलाश पाटीदार के हाथ व्यापमं घोटाले का पहला सिरा आया था। इसके बाद ना जाने कितने सिरे किस किस के हाथ आया और जब तक कोई समझ पाता व्यापमं घोटाले के तार मध्यप्रदेश सहित उत्तरप्रदेश और बिहार से जुड़ चुके थे। 

पढ़िए कहां से शुरू हुआ था यह किस्सा
7 जुलाई 2013 की सुबह 6 बजे पीएमटी परीक्षा से ऐन पहले एक अनजान शख्स ने इंदौर क्राइम ब्रांच फोन किया। तत्कालीन एसआई कैलाश पाटीदार राउ बायपास पर एक होटल पथिक में दबिश के लिए पहंचे। सूचना मिली थी कि 12 से 3 बजे की बीच आयोजित पीएमटी परीक्षा में उप्र के कुछ फर्जी युवक उम्मीदवार के रूप में परीक्षा में शामिल हो रहे हैं। यह लोग उनके पीछे बैंठने वाले छात्रों से रुपए लेकर नकल करवाते हैं। होटल मैनेजर ने पूछताछ में बताया यूपी के कुछ युवक कमरा नंबर 13, 14 और 15 में ठहरे हुए हैं। पुलिस ने एक युवक से पूछताछ

की तो फर्जी पहचान पत्र मिला। उस पर पिता का नाम व जन्म दिनांक फर्जी निकला। जांच में खुलासा हुआ आरोपी रमाशंकर(26) पिता लालताप्रसाद कुर्मी निवासी उत्तरप्रदेश है।

पता चला कि रुपए के लालच में राजेश और गेंदालाल नामक दलालों के जरिए नकल कराने का ठेका लिया और फर्जी आईडी तैयार कर परीक्षा देने आया था। इंदौर क्राइम बांच की शुरुआती जांच के बाद मामला एसटीएफ को सौंप दिया गया। एसटीएफ ने महिंद्रा के कम्पयूटर का डाटा गांधीनगर की लेबोरेटरी से रिट्रीव कराया तो इसमें बड़ेबड़े नाम सामने आने लगे। सुधीर शर्मा, संजीव सक्सेना, भरत मिश्रा, तरंग शर्मा, संजीव शिल्पकार सहित कई बड़े किरदार जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे। फिर फरवरी 2014 में उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा की गिरफ्तारी के साथ ही इसके तार सीधे तौर पर सत्ता के शीर्ष ठिकानों से जुड़ गए। फिर अचानक रहस्यमयी मौतों से सियासी पारा चढ़ गया। एक पत्रकार की मौत ने तो मानो तूफान ला दिया। लिहाजा, 2015 में सीबीआई को पूरा मामला सौंप दिया गया।

चर्चित केस में अब तक फैसला नहीं आगे क्या? पीएमटी 2013, परिवहन आरक्षक, संविदा शिक्षक, आरक्षक भर्ती सहित अन्य भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी की जांच पूरी होना अभी बाकी है। हार्डडिस्क टेंपरिंग के आरोप में फिलहाल सरकार से जुड़े प्रभावशाली लोगों को राहत मिलने का दावा किया गया है, हालांकि जांच पूरी होना बाकी है।

जांच में कौन-कौन दोषी पाए गए थे: पूरे व्यापमं महाघोटाले में 2500 से ज्यादा आरोपी हैं। इसमें पीएमटी 2012 व 2013 में ही 1100 से ज्यादा आरोपी हैं।

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