राकेश दुबे@प्रतिदिन। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव कहने को एक साल बाद आयेंगे, परन्तु प्रदेश के एक जिले होशंगाबाद में चुनाव की तैयारी हो गई, लगती है। होशंगाबाद से विधायक और मध्यप्रदेश विधानसभा के माननीय अध्यक्ष अपनी सीट की सुरक्षा में जुट गये हैं। टिकट प्राप्ति की होड़ शुरू गई है। टिकट की दौड़ में अपने नजदीक दौड़ने वाले अपने साथी को लत्ती मारने की शुरुआत नर्मदा-तीर से शुरू हो गई है। प्राण से प्रिय टिकट किसी दूसरे को न मिले, इसके लिए जो हो सकता यानि छल-बल, सच-झूठ शुरू हो गया है। अख़बारों के क्षेत्रीय पन्ने का प्रमुख समाचार मध्यप्रदेश विधान सभा की पत्रकार वार्ता से उद्भुत हुआ। जो अब धारावाहिक की शक्ल ले चुका है।
प्रदेश के 229 विधानसभा क्षेत्रों और विधायकों के शुभ-लाभ का ब्यौरा जानने वाले विधानसभा अध्यक्ष की निगाह से उनके चुनाव क्षेत्र की नगरपालिका, नगरपालिका अध्यक्ष और उसका भाई कैसे बच सकता है ? गलत सही कुछ भी कहा सुना अब थाना-कचहरी की नौबत आ गई है। अध्यक्ष जी की यह सतर्कता, और तथ्य बेमेल हैं। इससे सिर्फ राजनीति हुई, परन्तु प्रदेश के 3 शीर्ष पदों में से एक की गरिमा दाव पर लग गई। विधानसभा के माननीय अध्यक्ष की जगह यह बात किसी और ने उछाली होती तो उसकी क्या गति होती राम जाने।
टिकट के लिए भाग दौड़ कितनी होती है। १९९३ का एक वाकया भाजपा में सबको याद है। जब मौन जुलुस और न जाने क्या क्या भाजपा ने देखा। उम्र के कारण अब नेपथ्य में भेज दिए गये एक पूर्व मंत्री को इटारसी से टिकट न मिले इसकी जोरदार रणनीति की भांति इस बार होशंगाबाद का टिकट इधर-उधर न हो की राजनीति शुरू हो गई। दस्तावेजी प्रमाणों को गलत बताती पत्रकार वार्ता तो इस प्रहसन की एक कड़ी है।
अब प्रश्न जिम्मेदारी का है। कैसा भी और कोई भी आरोप प्रतिपक्ष पर लगाना आम बात है। परिणिति अवमानना के लम्बे चलते मुकदमे होती है। इस मामले में भी अदालतबाजी का पहला पायदान नोटिस जारी हो गया है। अब सवाल यह है की प्रदेश के शीर्ष पदों पर बैठे व्यक्तियों का आचरण कैसा हो ? उन्हें कोई भी आरोप लगाने के पूर्व कितनी सतर्कता बरतना चाहिए। यह भी विचार करना चाहिए की उनका आचरण उस पद की गरिमा के कितने अनुकूल या प्रतिकूल है जिसे वे सुशोभित कर रहे हैं। आज के समय में सभी के भाई भतीजे काम कर रहे हैं, उन पर ऊँगली उठाने से पहले अपने भाई भतीजों की तरफ भी देख लेना चाहिए। सहोदरता दत्तक हो जाने से नहीं बदलती है।
चुनाव पूर्व परिदृश्य होशंगाबाद से शुरू हुआ है। 2018 में ऐसे बहुत से तमाशे प्रदेश के नागरिकों को देखने सुनने मिलने वाले हैं। पदों की गरिमा इस धींगामस्ती में बची रहे इसकी अपेक्षा है।वैसे अभी विधानसभा चुनाव में देर है, माननीय।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।