आपकी सहनशीलता ही गंभीर बीमारियां पैदा करती है: रिसर्च रिपोर्ट | HEALTH

एक शोध के अनुसार जब आप किसी मसले पर मतभेद होने पर चुप रह जाते हैं, तो भीतर-ही-भीतर घुलते रहते हैं। जिससे आपका STRESS LEVEL बढ़ जाता है। इस बारे में जब लोगों पर TEST किया गया, तो यह सामने आया कि जिन लोगों ने बहस से बचने के लिए चुप्पी साध ली, उनके भीतर स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिजोल के लेवल में एब्नॉर्मल उतार-चढ़ाव आए। जबकि इस सिचुएशन का सामना करने वाले लोग कहीं ज्यादा रिलैक्स और खुश दिखे। 

मिशिगन यूनिवर्सिटी में हुई इस रिसर्च से जुड़ी डॉ. कीरा बर्डीट का कहना है कि आप डेली लाइफ में जिस तरह से प्रॉब्लम्स को हैंडल करते हैं, इससे आपकी हेल्थ पर सीधा असर पड़ता है। जब आप अपने बॉस, कुलीग, पार्टनर या किसी फ्रेंड से मतभेद होने पर इसे फेस करने से बचते हैं, तो यह आपकी हेल्थ के लिए अच्छा नहीं होता। गौरतलब है कि इससे जुड़ी एक और स्टडी बताती है कि किसी तरह के गुस्से को एक्सप्रेस करने से एक तरह का सेंस ऑफ कंट्रोल और ऑप्टिमिज्म का भाव आता है। 

जबकि जो लोग 'सहनशील' होते हैं, उनमें ऐसे भाव नहीं होते। यह पाया गया है कि अपने इंटरपर्सनल प्रॉब्लम्स से डील करने के लिए ज्यादातर लोग उन्हें अवॉइड करते हैं। ऐसे में अवॉइड करने की इस आदत ने उन्हें धीरे-धीरे थोड़ा 'कमजोर' बना देती है। फिर इसका खामियाजा फिजिकल प्रॉबलम्स में भी दिखाई देने लगता है। 

पार्टनर के साथ अक्सर आप बहस के दौरान अपने पार्टनर को ब्लेम कर रहे होते हैं क्योंकि आप उसकी कमजोरियों को पहले से ही जानते हैं। ऐसा न करें। लेकिन ध्यान रखें कि पिछली बार की बहस को सख्ती से ना कहें। प्रेजेंट इश्यू पर फोकस करें। सीनियर सायकायट्रिस्ट डॉ. संदीप वोहरा का कहना है कि पास्ट में कही गई कोई भी बात रिश्ते को कमजोर कर देती है। कुछ लोगों के दिमाग में नेगेटिव बातें हमेशा चलती हैं। 

बहस के वक्त ध्यान रखें कि झगड़ा चाहे किसी से भी हो रहा हो, इसमें अपोजिट साइड को अटैक करना या खुद को सुपीरियर बताने से असर आपके रिश्ते पर पड़ता है। बहस में बदले की भावना दिखाई नहीं देनी चाहिए। साफ शब्दों में बताना चाहिए कि किस हरकत ने आपको अपसेट किया है। 

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