नई दिल्ली। देश भर में एक जैसी स्कूली शिक्षा करने की कोशिशों में जुटी केंद्र सरकार जल्द ही इसे लेकर कुछ बड़े बदलाव कर सकती है। इनमें देश भर के स्कूलों में दसवीं और बारहवीं की एक जैसी पढ़ाई और परीक्षा कराने जैसे कदम शामिल हैं। हाल ही में इसे लेकर राज्य सरकारों और शिक्षा बोर्ड के साथ सरकार की बातचीत हुई। जिसमें ज्यादातर राज्य शिक्षा बोर्ड ने इस पहल पर अपनी सैद्धांतिक सहमति दी है। हालांकि इसे कब और कैसे लागू करना है, इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।
स्कूली शिक्षा में बदलाव का यह एक बड़ा कदम होगा, क्योंकि मौजूदा समय में देश में प्रत्येक राज्य अपने -अपने तरीके से पाठ्यक्रम तैयार करते है और उन्हें पढ़ाते है। सभी राज्यों का परीक्षा का पैटर्न भी अलग-अलग है। ऐसे में इन्हें एक करना एक बड़ी चुनौती तो है, फिर भी मंत्रालय इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है।
योजना से जुड़े अधिकारियों की मानें तो इस पहल का असर 10वीं और 12वीं के बाद उच्च शिक्षा में प्रवेश के दौरान दिखेगा। जहां बड़ी संख्या में छात्र प्रवेश से सिर्फ इसलिए वंचित रह जाते है, क्योंकि उनकी पढ़ाई उस स्तर की नहीं होती है।
ऐसे में अब एक जैसा पाठ्यक्रम होने और एक जैसी परीक्षा होने से सभी राज्यों के बच्चों के साथ न्याय होगा। योजना से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस बदलाव में फिलहाल गणित और विज्ञान का पाठ्यक्रम एक जैसा रखा जाएगा, जबकि सोशल साइंस और हिन्दी जैसे विषयों के पाठ्यक्रम के कुछ चुनिंदा हिस्से को छोड़कर राज्य अपने मुताबिक पाठ्यक्रम तय कर सकेंगे। इस मामले में राज्यों को स्वतंत्रता दी जाएगी।
वहीं 10वीं और 12वीं की पढाई और परीक्षा एक जैसी कराने के पीछे मंत्रालय का मानना है कि यह दोनों ही कक्षाएं ऐसी होती है, जहां से छात्रों के भविष्य की नई राहें तय होती है। साथ ही उनका सरोकार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं से होता है। ऐसे में एक जैसा पाठ्यक्रम और परीक्षा होने से एकरुपता बनेगी।