बैतूल में शिक्षा घोटाला: DPC समेत 6 अधिकारियों के खिलाफ FIR

बैतूल। जिले में गरीब बच्चों को शिक्षित बनाने लिए सरकार से मिले करोड़ों रुपयों को सुनियोजित तरीके से हड़पने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। सरकारी राशि में हेराफेरी करने के लिए जिले में पूर्व में पदस्थ रहे (वर्तमान में छिंदवाड़ा जिले में कार्यरत) जिला शिक्षा केन्द्र के जिला परियोजना समन्वयक ने बैतूल में कार्यरत एपीसी फायनेंस और 4 सीएसी की मदद ली थी। 1.88 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी करने के मामले में कोतवाली पुलिस ने इन 6 अफसरों के खिलाफ विभिन्न् धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। जिले में शिक्षा के नाम पर अब तक के सबसे बड़े घोटाले के उजागर होने से पूर्व में पदस्थ रहे उच्चाधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं।

आर्थिक अनियमितता और धोखाधड़ी के इस सनसनीखेज मामले में कोतवाली पुलिस ने जिला शिक्षा केन्द्र बैतूल के सहायक संचालक डीपीसी अशोक पराडकर की रिपोर्ट पर पूर्व में बैतूल में पदस्थ रहे डीपीसी जीएल साहू, सहायक परियोजना समन्वयक वित्त बैतूल मुकेश सिंह चौहान, हरदू में पदस्थ रहे जनशिक्षक इंद्रमोहन तिवारी, चिरापाटला में पदस्थ रहे जनशिक्षक रावेन्द्र तिवारी, बीजादेही में पदस्थ रहे जनशिक्षक सुनील सुनारिया और डोडाजाम में पदस्थ रहे जनशिक्षक दिनेश देशमुख के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी, 34 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1998 की धारा 13(1) ख, ग, घ का अपराध दर्ज किया गया है।

फर्जी बैंक खाते खोलकर हड़प ली रकम
चिचोली ब्लॉक के हरदू में पदस्थ रहे जन शिक्षक इंद्रमोहन तिवारी ने नियम विरूद्ध प्राथमिक शाला खपरिया और आवासीय ब्रिज कोर्स के नाम से स्टेट बैंक चिचोली में 2 बैंक खाते खोल लिए। इनमें सरकारी योजनाओं के लिए मिलने वाली राशि जमा कराई गई। वर्ष 2010 से लेकर 2014 तक इन खातों में 1 करोड़ 16 लाख 93 हजार 758 रुपए फर्जी तरीके से जमा कराए और यह राशि खुद ही निकाल ली।

इसी तरह चिरापाटला में पदस्थ रहे जन शिक्षक रावेन्द्र तिवारी ने प्राथमिक शाला झिरियाडोह के नाम से 2 बैंक खाते खोले और वर्ष 2010 से लेकर 2014 के बीच इनमें कुल 71 लाख 94 हजार 305 रुपए फर्जी तरीके से जमा कराए। बाद में खुद ही यह पैसा निकाल लिया।

डेढ़ साल पहले हुई थी शिकायत
जिला शिक्षा केन्द्र में करोड़ों की सरकारी राशि को डकारने की शिकायत 19 मार्च 2016 को पीजी सेल में अब्दुल मजीद ने की थी। इस शिकायत की जांच में लंबे समय तक लीपापोती की जाती रही। कलेक्टर शशांक मिश्र के संज्ञान में मामला आने के बाद उन्होंने 27 अक्टूबर 2017 को संबंधितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए। इसके बाद जिला शिक्षा केन्द्र के अफसरों ने दस्तावेज एकत्र किए और 6 नवंबर को कोतवाली पुलिस को शिकायत सौंपकर एफआईआर दर्ज कराई।

ऐसे किया करोड़ों का फर्जीवाड़ा
जिला शिक्षा केन्द्र के माध्यम से शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के अलावा आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्र और गैर आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्रों को शासन से मिलने वाली राशि को फर्जी बैंक खातों में जमा कराया जाता रहा।

इसके अलावा जिले भर में कागजों पर ही आवासीय और गैर आवासीय प्रशिक्षण केन्द्रों का संचालन कर शासन से मिलने वाली राशि डकारी जाती रही। पुलिस ने धोखाधड़ी के इस मामले में जिन 4 जन शिक्षकों को आरोपी बनाया है, वे लंबे समय से जिला अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जीवाड़े को अंजाम देते रहे और किसी ने भी इनकी गड़बड़ी पर नजर दौड़ाने तक की जहमत नहीं उठाई।

छह अफसरों के खिलाफ केस दर्ज किया है
जिला शिक्षा केन्द्र के सहायक संचालक ने दस्तावेजों के साथ धोखाधड़ी की शिकायत की है। इस पर कोतवाली पुलिस ने 6 अधिकारियों के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज कर विवेचना प्रारंभ कर दी है।
सीताराम झा, टीआई कोतवाली

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