CBI ने ​की 2 IAS अफसरों के खिलाफ जांच की सिफारिश | VYAPAM SCAM

भोपाल। पीएमटी-2012 में हुए एडमिशन घोटाले में कई बड़े पॉलिटिकल पॉवर से कनेक्टेड कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद अब सीबीआई ने इसी मामले में मेडिकल एजुकेशन में पदस्थ रहे तत्कालीन प्रमुख सचिव IAS AJAY TIRKEY और उपसचिव SS KUMRE का जिक्र भी अपनी चार्जशीट में किया है। सीबीआई ने दोनों के खिलाफ विभागीय जांच की सिफारिश की है। तिर्की वर्तमान में केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर महिला एवं बाल विकास विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी हैं। कुमरे मध्यप्रदेश में ही पीएचई में उपसचिव हैं। बता दें कि सीबीआई पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उसने व्यापमं घोटाले के आरोपी आईएएस अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। 

पत्रकार योगेश पाण्डे की रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई ने चार्जशीट में लिखा है कि इन दोनों अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर काउंसलिंग की तारीख 15 सितंबर से बढ़ाकर 18 से 25 तक कर दी। इसका फायदा प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को अपनी खाली सीटें भरने में मिला।  कुमरे ने सीबीआई की विभागीय जांच की सिफारिश की जानकारी होने से इंकार किया है। वहीं तिर्की ने इस विषय में कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि सीबीआई के शीर्ष अधिकारियों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि चार्जशीट में दोनों अफसरों की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। 

दोनों ने इस तरह फायदा पहुंचाया
आखिर क्या वजह थी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी होने के बावजूद काउंसलिंग की तारीख बढ़ाई गई। सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई 2012 को आदेश दिया था कि मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए 15 सितंबर 2012 के बाद काउंसलिंग नहीं होगी। भले ही सीटें खाली रह जाएं। इसके बावजूद डीएमई ने सेकेंड राउंड काउंसलिंग के लिए 18 से 25 सितंबर की तारीख तय की। इस पर उज्जैन के मेडिकल कॉलेज के डीन जेके शर्मा ने आपत्ति पेश करते हुए पत्र लिखा। शर्मा ने डीएमई अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट का आदेश याद दिलाते हुए कहा कि कोर्ट का आदेश नहीं मानने पर सभी संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने के आदेश हैं। इस पत्र पर 27 सितंबर को अजय तिर्की, एसएस कुमरे, डीएमई एससी तिवारी, एनएम श्रीवास्तव के बीच बातचीत भी हुई। इसके बावजूद बढ़ी तारीखों पर काउंसलिंग हुई और 30 सितंबर तक कॉलेजों में एडमिशन दिए गए। सीबीआई ने चार्जशीट में लिखा है कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की जाती है। 

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