आईटी की नजर पड़ी तो BANK में 16 लाख छोड़कर भाग गया व्यापारी | BLACK MONEY

NEW DELHI: दिल्ली के एक बैंक में नोटबंदी के बाद एक खाते में एक से अधिक बार में जमा करवाई गई 15.93 करोड़ रुपये की नकदी को एक विशेष अदालत ने बेनामी संपत्ति करार दिया है। इस राशि को जमा कराने वाले या उससे असल में लाभान्वित होने वाले का पता नहीं चल पाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार ने अवैध संपत्ति पर लगाम लगाने के प्रयासों के तहत बेनामी लेनदेन निरोधक (संशोधन) कानून 2016 को पिछले साल एक नवंबर को लागू किया। उक्त मामला पुरानी दिल्ली के नया बाजार की गली लालटेन के किसी रमेश चंद शर्मा नाम के व्यक्ति से जुड़ा है। आयकर विभाग ने नोटबंदी के बाद कालेधन के खिलाफ अपने अभियान के तहत पिछले साल दिसंबर में कोटक महिंद्रा बैंक की केजी मार्ग स्थित शाखा का सर्वे किया था।  

इसमें पाया गया कि शर्मा ने 3 फर्मों के खातों में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों के रूप में 15,93,39,136 रुपये नकदी जमा करवाई थी। टैक्स अधिकारियों ने पाया कि नकदी जमा करवाने के तुरंत बाद ही कुछ संदेहास्पद इकाइयों को उस खाते से संबंधित डिमांड ड्राफ्ट जारी किए गए। विभाग ने इन ड्राफ्टों पर भुगतान रोक दिया और खाते में जमा नकदी को बेनामी घोषित करते हुए जब्त कर लिया। 

विभाग ने अपने आदेश को विधिवत स्वीकृति के लिए विधिक निकाय के पास भेजा था। इस निकाय ने अभी कुछ समय पहले विभाग के आदेश की पुष्टि की। इस तरह से यह देश में इस कानून के तहत अपनी तरह के पहले 5 मामलों में से एक हो गया है। आदेश के अनुसार आयकर विभाग द्वारा कार्रवाई शुरू किए जाने के बाद शर्मा भी लापता हो गया है। उसने किसी सम्मन का जवाब नहीं दिया। हालांकि जांच में पाया गया कि शर्मा ने 2006-07 में 3 लाख रुपये की आय के साथ आयकर रिटर्न दाखिल की थी। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !