नई दिल्ली। इन दिनों मीडिया का मजाक बनाना एक फैशन सा हो गया है। मीडिया यदि किसी के मनमाफिक काम नहीं करती तो वो मीडिया को बिकाऊ कहने लगता है। अब तक मीडिया ऐसी प्रतिक्रियाओं को नजरअंदाज करती आ रही थी परंतु एक एकजुट होकर जवाब देने का सिलसिला शुरू हो गया है। कानपुर में मीडिया का मजाक उड़ा रहे सपा चीफ अखिलेश यादव को मीडिया ने उनकी लिमिट दिखा दी। बैकफुट पर आए अखिलेश फिर ट्रेक पर ही चलते रहे।
मामला नगरीय निकाय चुनावों के दौरान कानुपर में हुई प्रेस कांफ्रेस का है। अखिलेश यादव अपने कार्यकाल के दौरान किये गये कार्यों की बढ़ाई के साथ ही मोदी और योगी सरकार पर निशाना भी साध रहे थे। सपा अध्यक्ष के साथ जब मीडियाकर्मियों का सवाल-जवाब शुरू हुआ तो उन्होंने मीडिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि 'बीजेपी के खिलाफ कई ऐसी खबरें उनके पास हैं जिसे मीडिया ने जगह नहीं दी। इसके बाद अखिलेश ने कई ऐसे सवालों पर जवाब देने के बदले मीडियाकर्मियों का मजाक बनाना शुरू कर दिया। मीडियाकर्मी इसे विधानसभा चुनाव में मिली हार की हताशा मानकर नजरअंदाज कर रहे थे। इसी बीच एक बुजुर्ग पत्रकार ने जब अखिलेश से एक सवाल पूछा तो पूर्व मुख्यमंत्री ने उनका भी मजाक बना दिया। इसपर वहां मौजूद सपा कार्यकर्ता ठहाके लगाने लगे।
अखिलेश के इस व्यवहार को देख पत्रकार भड़क गए और खुद उनपर कानपुर के एक पूर्व कांग्रेस विधायक के साथ व्यक्तिगत व्यवहार होने पर सवाल पूछ बैठै। पत्रकारों ने कहा कि अगर पूर्व विधायक से आपका व्यक्तिगत संबंध है तो आपने कानपुर मेयर के लिए सपा का प्रत्याशी क्यूं उतारा, क्यों नहीं आपने कांग्रेस को समर्थन दे दिया। जिस पर अखिलेश ने पलटवार करते हुए पत्रकार को कांग्रेस और पूर्व विधायक का प्रवक्ता कह दिया।
अखिलेश ने आवाज ऊंची की तो मीडिया ने भी आंख दिखाई
एक के बाद हो रहे सवालों से परेशान अखिलेश ने पत्रकारों से कहा कि 'डोंट क्रॉस योर लाइन', जिस पर पत्रकारों ने पलटवार करते हुए कहा कि 'आप हमेशा हम लोगों को एक पार्टी विशेष का प्रवक्ता कह देते हैं क्या आप अपनी लाइन नहीं क्रॉस कर रहे हैं। कुछ देर तक अखिलेश और पत्रकारों में हॉट-टॉक होती रही फिर माहौल गर्माता देख अखिलेश बैकफुट पर आ गए। दोबारा अपने मुद्दे पर आकर निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी के जीत का भरोसा देते हुए किसी तरह प्रेस वार्ता को खत्म किया और चुपचाप निकल गए।