बिना कोर्ट की अनुमति अध्यापकों का वेतन कम करने पर रोक | ADHYAPAK SAMACHAR

भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 6वां वेतनमान लागू किए जाने के बाद त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण विधि के खिलाफ दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए अध्यापकों का वेतन कम करने पर रोक लगा दी है। बता दें कि 6वां वेतनमान के बाद कई अध्यापकों का वेतन उनको पूर्व में मिल रहे वेतन से कम हो रहा है। कोर्ट ने आदेशित किया है कि न्यायालय की अनुमति के बिना किसी भी कर्मचारी का वेतन कम नहीं किया जा सकता। 

छठवें वेतन मान के प्रदाय एवं निर्धारण के संबंध में आदेश दिनाँक 07.07.2017 एवं 22.08.2017 के अनुपालन में त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण विधि (मेथड) अपनाने के फलस्वरूप, अध्यापक संवर्ग का वेतन, वर्तमान वेतन से कम हो रहा था। इसी के चलते श्रीमती सारिका अग्रवाल, राजिक अली एवम अन्य अध्यापकों का प्रस्तावित निर्धारण भी वर्तमान वेतन को कम होने वाला था। इसी के चलते श्रीमती सारिका अग्रवाल एवं राजिक अली द्वारा माननीय हाई कोर्ट, जबलपुर के समक्ष मध्यप्रदेश शासन एवं अन्य के विरुद्ध रिट याचिका क्रमांक 19709/2017 अन्य  अध्यापकों के साथ दायर की गई थी। 

सुनवाई के पश्चात माननीय हाई कोर्ट जबलपुर ने प्रथम दृष्ट्या वेतन निर्धारण की कार्यवाही को अध्यापक संविलियन नियम 2008 में विहित प्रावधानों विपरीत माना है। माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर ने पूर्व में पारित अंतरिम आदेश के आधार पर, बिना कोर्ट की अनुमति के वेतन कम करने पर रोक लगा कर विभाग से जबाब तलब किया है। याचिकाकर्ता की ओर से श्री अमित चतुर्वेदी अधिवक्ता हाई कोर्ट, जबलपुर  द्वारा पक्ष रखा गया था।

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