पॉल्यूशन से मुक्ति के लिए आम आदमी ने 1500 करोड़ दिए, केजरीवाल ने खर्च ही नहीं किए | ARVIND KEJRIWAL NEWS

नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर के लिए एयर पॉल्यूशन सबसे बड़ा मुद्दा है। जनता ने एयर पॉल्यूशन को खत्म करने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार को टैक्स (एनवॉयरन्मेंट कम्पनसेशन चार्ज) के रूप में 1500 करोड़ रुपए दिए परंतु केजरीवाल सरकार ने इस दिशा में काम ही नहीं किया। जनता से वसूला पैसा तक खर्च नहीं किया। तमाम हंगामा और सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद भी सिर्फ 120 करोड़ रुपए ही एक प्रोजेक्ट में लगाए गए।न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में दिल्ली में एंट्री करने वाले ट्रकों और भारी वाहनों से एनवॉयरन्मेंट कम्पनसेशन चार्ज वसूलने का आदेश दिया था। 10 नवंबर तक सरकार ने इससे 1003 करोड़ रुपए वसूले। 

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरन्मेंट के रिसर्चर उस्मान नसीम ने कहा, ''ईसीसी साउथ दिल्ली नगर निगम कलेक्ट करता है। हर शुक्रवार को इसे ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को दे दिया जाता है। इसके अलावा दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (DPCC) ने भी सालभर में 'एयर एम्बियंस फंड' के नाम पर 500 करोड़ वसूल किए।

डीजल गाड़ियों पर सेस से 62 करोड़ वसूले
दूसरी ओर, डीजल कारों पर सेस वसूलने का फैसला शीला दीक्षित सरकार ने 2007 में लिया था। ताकि गाड़ियों के धुएं से होने वाले प्रदूषण से दिल्ली को बचाया जा सके। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने इससे दिल्ली-एनसीआर में 62 करोड़ रुपए जुटाए हैं।

सवाल उठे तो इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की योजना
ईसीसी और पॉल्यूशन कंट्रोल के नाम पर फंड जुटाने और इसके खर्च के सवाल पर दिल्ली ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के सीनियर अफसर ने कहा, ''मंगलवार को ही इस फंड से इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के लिए ऑर्डर जारी किया है। बसें काफी महंगी हैं, इसीलिए इन्हें सब्सिडी पर खरीदने की योजना है। हालांकि, अभी साफ नहीं है कि फंड से कितनी इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जा सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर सिर्फ 120 करोड़ खर्च किए
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद सरकार ने दिल्ली के कुछ इलाकों में रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस लगाने के लिए 120 करोड़ फंड खर्च किए। ताकि ट्रकों और भारी वाहनों से वसूल किए जाने वाले ईसीसी सिस्टम को ज्यादा भरोमंद और आसान बनाया जा सके। दूसरी ओर, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड डीजल गाड़ियों से वसूले गए अपने ग्रीन फंड को एयर पॉल्यूशन से जुड़ी स्टडी और मैनेजमेंट में लगाया। जबकि 2.5 करोड़ रुपए से एनसीआर में पॉल्यूशन मॉनीटरिंग सेंटर बनाए हैं।

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