मप्र में SCHOOL एडमिशन के लिए पिता का नाम अनिवार्य नहीं

भोपाल। यदि मां नहीं चाहती कि बच्चे के साथ उसके पिता का नाम भी दर्ज किया जाए तो स्कूल शिक्षा विभाग उसे ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। मप्र की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने फैसला लिया है कि स्कूल में एडमिशन के लिए पिता का नाम अनिवार्य नहीं होगा। इस फैसले का सबसे ज्यादा लाभ उन बच्चों को मिलेगा जो बिना ब्याही मां की संतान होते हैं या दुष्कर्म या फिर दूसरे कारणों के चलते उनके पिता का पता ही नहीं होता। फैसला किया गया है कि अगर बच्चे की मां उसके पिता का नाम नहीं लिखवाना चाहती है या उसे पता नहीं है तो ऐसी स्थिति में बच्चों को स्कूल में प्रवेश देने से वंचित नहीं किया जा सकता।

यह फैसला विभाग ने मानवाधिकार की सिफारिशों पर लिया है। इसके साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी कलेक्टर्स को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं और इसका कड़ाई से पालन करने का आदेश दिया है। बता दें कि पिछले साल डिंडौरी में एक ऐसा मामला सामने आया था, जिसमें बच्चे के जन्म प्रमाण-पत्र में पिता के रूप में तीन व्यक्तियों के नाम लिखे होने से स्कूल ने प्रवेश देने से इन्कार कर दिया था। 

उस बच्चे की मां के साथ तीन लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। इसलिए जब बच्चे का जन्म हुआ तो पंचायत सचिव ने पिता के रूप में सामूहिक दुष्कर्म के तीनों आरोपियों का नाम लिखा। वे तीनों ही व्यक्ति तीन साल की जेल काटने के बाद सबूतों के अभाव में बरी हो गए थे। दुष्कर्म से जन्में बच्चे के प्रवेश के लिए किया गया यह फैसला भारत में संभवत: पहली बार है। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब तक किसी अन्य राज्य द्वारा ऐसा फैसला लिए जाने की जानकारी नहीं है।

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