सीताराम केसरी ने PM बनने के लिए गिराई थी संयुक्त मोर्चा की सरकार: मुखर्जी

नई दिल्ली। भाजपा के खिलाफ एकजुट हुए संयुक्त मोर्चा की सरकार के पतन का कारण कोई और नहीं बल्कि सीताराम केसरी हैं जो उन दिनों कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। यह खुलासा पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब 'द कोलिशन ईयर्स' में किया है। मुखर्जी बताते हैं कि केसरी खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते थे इसलिए उन्होंने 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल की संयुक्त मोर्चा की सरकार को अस्थिर करने में बड़ी भूमिका निभाई। बता दें कि इसके बाद भाजपा की अटल बिहारी सरकार बनी। 

प्रणब ने इसकी वजह सीताराम केसरी के खुद के प्रधानमंत्री बनने की इच्छा को बताया है। कांग्रेस ने जैन कमीशन की प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद आईके गुजराल की सरकार से समर्थन वापस लेने की मांग की। जैन कमीशन की रिपोर्ट ने सलाह दी थी कि डीएमके और इसका नेतृत्व लिट्टे नेता वी प्रभाकरन और उसके समर्थकों को बढ़ावा देने में शामिल था। कांग्रेस गुजराल सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी।

'ऐसे में कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस क्यों लिया? तब केसरी द्वारा बार-बार दोहराने वाली लाइन 'मेरे पास वक्त नहीं है' का क्या मतलब था? बहुत सारे कांग्रेसी यह अनुमान लगाते हैं कि इसका आशय उनके प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा से था। मुखर्जी कहते हैं 'उन्होंने भाजपा विरोधी भावनाओं का लाभ उठाने की कोशिश की। उन्होंने गैर भाजपा सरकार का स्वयं के नेतृत्व के लिए प्रयास किया।'

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