दमोह। शासकीय सेवकों को राजनीति की अनुमति नहीं है परंतु प्राचार्य नन्हें सिंह की बात कुछ और है। वो इतने ताकतवर हैं कि खुलेआम ना केवल राजनीति करते हैं बल्कि भाजपा की गुटबाजी भी करते हैं। दमोह में उन्होंने मंत्री जयंत मलैया को हराने की कोशिश की थी जबकि हटा विधानसभा में उमादेवी खटीक को जिताने के लिए काम किया और खुद उमादेवी खटीक उनका एहसान मानतीं हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि कर्मचारियों के नेताओं की तरह चुनावी राजनीति में सक्रिय होने के बावजूद कलेक्टर और विभागीय प्रमुख चुपचाप देखते रहते हैं।
इस मामले का खुलासा पटेरा ब्लॉक में बीआरसी की नियुक्ति को लेकर उठे विवाद के बाद हुआ। विधायक उमादेवी खटीक ने कहा था कि यदि उनकी पसंद के अलावा किसी और को बीआरसी बनाकर भेजा गया तो वह उसे जूते से पिटवाएंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आशीष भट्ट केे नाम का ऐलान हो गया। इस पर उमादेवी कहा कि किसी ने कुछ नहीं कहा। वह नहीं चाहतीं कि कोई बबाल हो। उन्होंने कहा कि अब चुनाव को करीब एक साल रह गया है, इसलिए वह भी किसी तरह का विरोध नहीं चाहतीं हैं। वैसे भी मंत्री जी (जयंत मलैया) उनसे नाराज हैं।
नाराजगी का कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि वह जिस प्राचार्य नन्हें सिंह को बीआरसी बनाना चाहती थी, वह उन्हें पसंद नहीं हैं। मंत्री जी का कहना है कि नन्हें सिंह ने उनकी विधानसभा में उनका विरोध किया था। विधायक श्रीमती खटीक ने कहा कि हो सकता है वहां विरोध किया हो, लेकिन उनके विधानसभा में तो उन्होंने सपोर्ट किया था और काफी सहयोग किया था। विधायक ने ये भी कहा कि मंत्री जी हटा क्षेत्र में अहिरवाल जाति के व्यक्ति को टिकट दिलाना चाहते हैं। उन्होंने इस बात की आशंका भी व्यक्त की कि शायद मंत्री जी उनसे नाराज हैं, फिर कहा अब क्या कर सकते हैं। होगा वहीं जो राम रचि राखा।