MIC से छीन लिए गए अभियोजन की स्वीकृति के अधिकार

भोपाल। नगर निगमों के भ्रष्टाचार में फंसे अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा चलाने (अभियोजन) की स्वीकृति अब कमिश्नर देंगे। अभी तक यह अधिकार मेयर इन काउंसिल (एमआईसी) के पास थे। भ्रष्टाचार के कई गंभीर मामले एमआईसी की स्वीकृति लंबित होने के कारण लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू कोर्ट में चालान पेश नहीं कर पा रही है। ताजा उदाहरण इंदौर के ट्रेजर आईलैंड का है, जिसमें एक इंजीनियर के खिलाफ पिछले चार साल से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने के कारण ईओडब्ल्यू चालान पेश नहीं कर पा रही है। इस बारे में ईओडब्ल्यू ने 30 से अधिक पत्र लिखे, लेकिन एमआईसी ने इस प्रकरण पर फैसला नहीं लिया।

राज्य शासन ने इंदौर नगर निगम कमिश्नर मनीष सिंह को ही नहीं, बल्कि सभी नगर निगमों के कमिश्नरों को अभियोजन स्वीकृति देने संबंधी आदेश जारी कर दिया है। मंत्रालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इंदौर के ट्रेजर आईलैंड मामले में नगर निगम के इंजीनियर अश्विन जनवदे के खिलाफ भी ईओडब्ल्यू ने मुकदमा दर्ज किया था। इस संबंध में नगर निगम से जनवदे के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति मांगी गई थी, लेकिन एमआईसी में प्रस्ताव लाए जाने के बावजूद स्वीकृति नहीं दी गई। इसको लेकर ईओडब्ल्यू के वकील ने कोर्ट में यह खुलासा किया कि नगर निगम को 30 बार पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया।

इस पर कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए कि 5 अक्टूबर तक चालान पेश किया जाए। यह जानकारी जब राज्य शासन तक पंहुची कि एमआईसी में प्रकरण लंबित होने के कारण अभियोजन स्वीकृति अटकी हुई है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 29 सितंबर को आदेश दिया कि कमिश्नर अभियोजन की स्वीकृति दें।

अधिनियम की धारा 419 में कमिश्नर को अभियोजन स्वीकृति के अधिकार हैं। इसके मद्देनजर कमिश्नरों को लंबित केस का जल्दी से जल्दी निराकरण करने के निर्देश दिए गए हैं। 
विवेक अग्रवाल, 
आयुक्त नगरीय विकास एवं आवास विभाग

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