IT और BANKING JOBS में अब फ्रेशर्स को ज्यादा चांस मिल रहे हैं

इंजीनियरिंग कॉलेज के कैम्पस प्लेसमेंट्स बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। बिग डेटा एंड एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, डिजीटल मार्केटिंग, मोबाइल और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में स्किल्ड लोगों की कमी के कारण कंपनियां इन कामों के लिए फ्रेशर्स हायर कर रही हैं। पहले ये काम अनुभवी लोगों को ही दिए जाते थे। इन स्किल सेट्स में बीते साल फ्रेशर्स के लिए लगभग 12 हजार नौकरियां थीं। यह संख्या क्लाउड कंप्यूटिंग, क्वालिटी मैनेजमेंट और आईटी सर्विस में जॉब्स की दोगुनी संख्या में है। इससे पहले ये क्षेत्र ही जॉब्स के मामले में शीर्ष पर थे। यह संख्या विभिन्न् जॉब लिस्टिंग वेबसाइट्स से लिए गए डेटा के अनुसार सामने आई है।

आईटी सर्विस और बैंकिंग सर्विस के टॉप प्लेयर्स ही इन स्किल्स के लिए एंप्लॉयर्स के रूप में नजर आ रहे हैं। पहले जिन कामों को थर्ड पार्टी से आउटसोर्स किया जाता था, अब उनके लिए भी कंपनियां अपनी टीम बना रही हैं। इंटरनेट ऑफ थिंग्स (एलओटी) और यूजर इंटरफेस डिजाइन में भी जॉब्स की संख्या बढ़ी हैं। इन क्षेत्रों में जॉब्स बढ़ने की प्रमुख वजह है इन कामों को पूरा करने के लिए तकनीक का अपर्याप्त होना।

इनके लिए एडवांस एक्सेल, बिग डेटा, पाइथन और जावा जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन और एंड्रॉयड की बेसिक जानकारी की जरूरत होती है। कई कॉलेज इन स्किल्स को सिखाते हैं, लेकिन ज्यादातर हायरिंग के बाद काम के दौरान ही सीख पाते हैं। इसमें सैलरी भी अन्य फ्रेशर्स की तरह ही 2-4 लाख तक है, अनुभव के बाद ऊंची सैलरी तक पहुंचने की संभावना ज्यादा है।
Tags

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !