क्रीमीलेयर का आरक्षण बंद किया जाना चाहिए: IPS अमित सिंह

भोपाल। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी एवं मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के एसपी अमित सिंह का कहना है कि आरक्षण का दायरा सीमित होना चाहिए और वो निर्धन व जरूरतमंदों तक ही होना चाहिए। क्रीमीलेयर साधन संपन्न होने के बावजूद आरक्षण का लाभ ले रहे हैं जिसके कारण उन लोगों का हक मारा जा रहा है जिनके लिए आरक्षण लागू किया गया है। बता दें कि अमित सिंह आईएएस बनना चाहते थे परंतु क्रीमीलेयर के कारण वो नहीं बन पाए। 

आरक्षण किसी की बपौती नहीं है
अमित सिंह का कहना है कि क्रीमीलेयर वाले एससी, एसटी व ओबीसी वर्ग के लोग बार-बार आरक्षण का लाभ लेकर मेहनती युवाओं का भविष्य खराब कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारें संविधान के द्वारा तय मुद्दों से भटक कर काम कर रही हैं। वे आरक्षण के विरोधी नहीं हैं पर जो लोग सक्षम हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ पीढ़ी दर पीढ़ी नहीं मिलना चाहिए। इस तरह की सामाजिक न्याय व्यवस्था को उन्होंने कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आरक्षण किसी की बपौती नहीं है।

आईएएस के बेटे को आरक्षण क्यों दिया जाए 
एसपी सिंह ने रतलाम में एक कार्यक्रम में आरक्षण का आधार आर्थिक किए जाने की बात कही। सिंह ने कहा कि आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर बात होनी चाहिए। संविधान में आरक्षण की स्थायी व्यवस्था नहीं थी पर सरकार ने इसे स्थायी बना दिया है। जिसके माता पिता आईएएस, आईपीएस हैं जो आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थानों में पढ़ रहे हों, उन्हें आरक्षण दिया जाए, यह उचित नहीं है। आरक्षण का हकदार वह है जो कमजोर और गरीब है। आरक्षण पाकर बना कोई भी आईएएस या आईपीएस या संपन्न व्यक्ति यह लिखकर नहीं देता कि उसे अब आरक्षण की जरूरत नहीं है। ऐसे में मेहनतकश सामान्य वर्ग के युवाओं का हक मारा जाता है। 

समाज की मुख्यधारा तय होना चाहिए 
सिंह ने कहा कि आरक्षण किसी की बपौती नहीं है। जिसे एक बार मौका मिला और वह क्रीमीलेयर की स्थिति में आ गया, उसे आरक्षण देना बंद करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि समाज की मुख्य धारा है क्या, यह भी तय होना चाहिए क्योंकि आरक्षण का लाभ समाज के वर्ग विशेष के मजबूत तबके के लोग ही उठा रहे हैं। उन्होंने ये बातें इस परिप्रेक्ष्य में कहीं कि यूपीएससी परीक्षा में 144वीं रैंक हासिल करने के बाद भी वे आईएएस इसलिए नहीं बन पाए क्योंकि 456वीं रैंक पाने वाला बैचमेट आर्थिक तौर पर मजबूत होने के बाद भी आरक्षण का लाभ ले रहा था।

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