BHOPAL में कत्लखाने का मामला फिर नगरनिगम के पाले में

भोपाल। स्लाटर हाउस की शिफ्टिंग के नाम पर अत्याधुनिक कत्लखाने का मामला अभी भी उलझा जुआ है। नगर निगम के एनजीटी आर्डर के नाम पर स्लाटर हाउस को अपग्रेड करने की रणनीति बनाई। अब एनजीटी ने बॉल फिर से नगर निगम के पाले में डाल दी है। बता दें कि भोपाल में 60 जानवरों को काटने की क्षमता वाले स्लाटर हाउस को शिफ्ट करने का आदेश जारी ​हुआ है परंतु नगरनिगम इसके बदले 600 जानवरों जिनमें गाय भी शामिल हो सकतीं हैं, को मशीनों से कत्ल करने वाला अत्याधुनिक कत्लखाना स्थापित करने का प्लान बनाया है। 

सोमवार को हुई सुनवाई में ट्रिब्यूनल ने सख्त लहजे में कहा कि इस मामले को नगर निगम अपने स्तर पर कांट्रेक्टर के साथ मिलकर सुलझाए। ऐसा नहीं चलेगा कि ट्रिब्यूनल अपने स्तर पर प्रयास करे और सुझाव दे तभी आप काम करेंगे। ट्रिब्यूनल ने यह भी पूछा कि इस मामले को सुलझाने में नगर निगम, ट्रिब्यूनल के आदेश का इंतजार क्यों कर रहा है। ट्रिब्यूनल ने अगली सुनवाई में इस मामले में हुए डेवलपमेंट की रिपोर्ट तलब की है।

भोपाल और सीहोर के स्लाटर हाउस में हो रहे पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को लेकर विनोद कुमार कोरी और रिजवान पठान द्वारा दायर याचिका पर सोमवार को एनजीटी में सुनवाई हुई। इस दौरान रिजवान के वकील रोहित शर्मा ने बताया कि सीहोर का स्लाटर हाउस बंद कर इसे भोपाल में बनने वाले क्लस्टर में शामिल कर दिया है। सीहोर के स्लाटर हाउस की भोपाल में शिफ्टिंग को लेकर किसी प्रकार का कोई विरोध नहीं है। वहीं, भोपाल के जिंसी स्थित स्लाटर हाउस मामले में हो रही देरी पर जब ट्रिब्यूनल ने जवाब तलब किया तो निगम की ओर से जमीन मिलने में देरी की जानकारी दी।

ज्यूडिशियल मेंबर ने कहा-ट्रिब्यूनल के प्रयास से आपकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती, निगम की ओर से बताया गया कि जिस कंपनी को आदमपुर छावनी में स्लाटर हाउस बनाने का कांट्रेक्ट दिया गया है उसने अधिक जमीन की मांग रखी है। हालांकि जमीन का विवाद सुलझा लिया गया है। इस पर ज्यूडिशियल मेंबर रघुवेंद्र सिंह राठौर ने कहा कि निगम को अब जब जमीन मिल गई है तो यह मामला निगम और कांट्रेक्टर आपस में सुलझाए। ट्रिब्यूनल के प्रयास से आपकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती है। उन्होंने निगम से यह भी कहा कि आप ट्रिब्यूनल के आदेश का इंतजार क्यों कर रहे हैं। इस मामले को अपने स्तर पर क्यों नहीं सुलझा रहे हैं।

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