छोटी दीवाली: दरिद्रता जाती है और लक्ष्मी आतीं हैं

हिन्दुओं के प्रमुख त्योहार दीपावली का उत्सव 5 दिनों तक चलता है। दीवाली का त्योहार धनतेरस के पूजन से शुरू हो जाता है और इसी के साथ पांच दिन तक चलने वाले इस पर्व को लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. धनतेरस के दूसरे दिन और दीपावली के एक दिन पहले छोटी दीवाली यानी कि नरक चौदस का त्योहार मनाया जाता है. यह त्यौहार नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी या नर्का पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं।

दक्षिण भारत और उत्तर भारत में इस त्योहार को अलग-अलग दिन और तरीके से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में दिवाली के 1 दिन पहले यानी नरक चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इस दिन मनाया जाने वाला उत्सव दक्षिण भारत के दिवाली उत्सव का सबसे प्रमुख दिन होता है नरक चतुर्दशी पर सुबह तेल लगाकर चिचड़ी की पत्तियां पानी में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है. इस मौके पर 'दरिद्रता जा लक्ष्मी आ' कह घर की महिलाएं घर से गंदगी को घर से बाहर निकालती हैं. 

इस दिन सुबह उठकर सबसे पहले नहा धोकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और संभव हो तो तिल का तेल लगाने के बाद नहाएं. इस दिन शरीर पर चंदन का लेप लगाकर नहाने और भगवान कृष्ण की उपासना करने का भी विधान है. शाम के समय घर की दहलीज पर दीप जलाएं और यम देव की पूजा करें. नरक चौदस के दिन भगवान हनुमान की पूजा भी की जाती है. दीवाली के एक दिन पहले आने वाले इस त्योहार के दिन दीप दान किए जाते हैं. इस दिन घर के द्वार पर दीपक जलाए जाते हैं. इसलिए इसे छोटी दीवाली कहा जाता है.
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