सरकारी अधिकारी, कर्मचारी की जाति नहीं देखी जाती: नंदकुमार चौहान

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद नंदकुमारसिंह चौहान ने अशोकनगर मामले में बयान जारी किया है। यहां एक सरकारी कॉलेज में सांसद सिंधिया का छात्र संवाद कार्यक्रम होने के बाद प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया गया। इसी पर चौहान ने कहा कि कांग्रेस के कुछ लोग समाज में फूट डालने की नियत से महाविद्यालय के प्राचार्य के निलंबन को दलित और गैर दलित का मुद्दा बना रहे हैं जबकि सरकारी अधिकारी, कर्मचारी की जाति नहीं देखी जाती। बता दें कि मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार सरकारी अधिकारी, कर्मचारी की जाति के मुद्दे पर ही उलझी हुई है। जाति को मुद्दा बनाकर सरकार हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में डटी हुई है।

चौहान बोले कि निश्चित तौर पर प्राचार्य को परिसर में कांग्रेस का झंडा, चुनाव चिन्ह और नारे लगवाने से कांग्रेस को रोकना चाहिए था। जबकि हुआ यह है कि प्राचार्य ने स्वयं सिंधिया को वहां आमंत्रित किया और कार्यक्रम का आयोजक एनएसएस को बताने का अपराध किया है। जबकि सत्य यह है कि एनएसएस की ओर से किसी भी प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया था। प्राचार्य का यह कृत्य सिविल सेवा अधिनियम के तहत नियमों का उल्लंघन है। शायद इसी कारण उन्हें निलंबित किया गया होगा। किसी भी अधिकारी का निलंबन निष्पक्ष जांच के लिए आवश्यक होता है। श्री चौहान ने अपील की है कि शिक्षा के मंदिरों को अपने फायदे के लिए दलीय राजनीति का अखाड़ा बनाने से रोका जाए।

बता दें कि मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार सरकारी अधिकारी, कर्मचारी की जाति के मुद्दे पर ही उलझी हुई है। जाति को मुद्दा बनाकर सरकार हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में डटी हुई है। वो चाहती है कि सरकारी सेवाओं में प्रमोशन जाति के आधार पर दिया जाना चाहिए। सीएम शिवराज सिंह चौहान तो यहां तक कह चुके हैं कि यदि वो केस हार गए तो इसके लिए नया कानून बना देंगे लेकिन मध्यप्रदेश की सरकारी सेवाओं में प्रमोशन तो जाति के आधार पर ही होगा। कोई माई का लाल...। 

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