मैं भी नर्मदा परिक्रमा में शामिल होने जाऊंगा: ज्योतिरादित्य सिंधिया

भोपाल। दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा अब पूरी तरह से राजनैतिक होती जा रही है। भले ही दिग्विजय सिंह खुद कोई राजनैतिक बयान ना दे रहे हों परंतु पूरी यात्रा के आसपास राजनीति ही घूम रही है। सांसद एवं कांग्रेस की ओर से सीएम कैंडिडेटशिप के दावेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि वो भी दिग्विजय सिंह की यात्रा में शामिल होने के लिए उत्साहित है और जल्द ही नर्मदा यात्रा में सम्मिलित होने रवाना होंगे। बता दें कि अब तक कांग्रेस संगठन ने दिग्विजय सिंह की यात्रा से दूरी बना रखी थी। कोई भी बड़ा नेता यात्रा में शामिल नहीं हुआ है। 

मप्र कांग्रेस में परिवर्तन की चल रही अटकलों के बीच पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मप्र में नेतृत्व परिवर्तन हो या न हो, लेकिन अब हम सब एकजुट हैं। नेतृत्व परिवर्तन से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि अब इन सब के लिए समय नहीं है। दिल्ली का राष्ट्रीय नेतृत्व जिसे जो भी जिम्मेदारी देगा उसे पूरी ईमानदारी से सभी को तैयार रहना है। 

मप्र में भाजपा पर जनविरोधी होने का आरोप लगाते हुए सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है सभी एकजुट हैं। सभी भाजपा को हराने के लिए एक ही राह पर चल रहे हैं। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की यात्रा को पूर्ण रूप से धार्मिक यात्रा बताया। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह की यात्रा पर टिप्पणी करने वाले अपने गिरेबां में झांकें। उन्होंने कहा कि वे उनकी यात्रा में शामिल होने के लिए उत्साहित है और जल्द ही नर्मदा यात्रा में सम्मिलित होने रवाना होंगे।

उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है तथा आम चुनाव से पहले इसे सेमीफाइनल मानकर कोई राजनीतिक दल जीत की कसर नहीं छोड़ना चाहता। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया रविवार को दिल्ली से भोपाल पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया से संक्षिप्त चर्चा की। उन्होंने कांग्रेस के संगठन को लेकर कहा कि जल्द ही इसकी घोषणा होने वाली है। जिससे कि आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकेगी।

मुख्यमंत्री शिवराज की प्रतिष्ठा इन उपचुनाव में दांव पर लगी हुई है जबकि कांग्रेस में सिंधिया की साख दांव पर लगी हुई है। कांग्रेस और भाजपा में काफी दरारें है तथा नेतृत्व को झुकाने के लिए दोनों ही दलों में दांव पेंच चल सकते है। इन दोनों को मैदान में उतारने पर एक तरफ ऐसे कार्यकर्ता है जो भाजपा सरकार की नाराजगी से कांग्रेस की जीत पक्की मान रहे हैं। जबकि कुछ कार्यकर्ता मानते है कि कांग्रेस की हार हुई तो केन्द्रीय नेतृत्व पर प्रदेश में बदलाव करने का मुद्दा अपने आप मिल जाएगा।

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