गुजरात में पाटीदारों ने अमित शाह पर कुर्सियां फैंकी

नई दिल्ली। गुजरात में पाटीदार अपनी भाजपा से नाराज हो गए हैं। अब तक भाजपा को बार बार सत्ता में पहुंचाने वाले पाटीदार अब भाजपा का खुला विरोध कर रहे हैं। अमित शाह के सामने विरोध प्रदर्शन का सिलसिला लगातार जारी है। हालात यह बने कि शनिवार को पाटीदारों ने अमित शाह पर कुर्सियां फैंकी। इससे पहले राहुल गांधी ‘नवसर्जन गुजरात यात्रा’ निकाली थी जिसका स्वागत किया गया। पाटीदार अब शाह के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। शनिवार को अमित शाह ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म स्थान करमसद से ‘गुजरात गौरव यात्रा’ को रवाना किया। इसके बाद जनता को एड्रेस किया। जैसे ही शाह मंच पर पहुंचे पाटीदार युवा उनके खिलाफ नारेबाजी करने लगे। उन्होंने कुर्सियां भी फेंकी। शाह का पहले भी गुजरात में विरोध हो चुका है। शाह ने कांग्रेस पर सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत रत्न देर से देने पर सवाल खड़े किए। ‘गुजरात गौरव यात्रा’ 1 से 15 अक्टूबर तक चलेगी। 138 जनसभाएं होंगी। यात्रा के दो रूट हैं। इसकी जिम्मेदारी गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन पटेल और गुजरात के बीजेपी प्रेसिडेंट जीतूभाई वघानी को दी गई है।

22 साल पुराना गढ़ बचाने के लिए झोंकी ताकत
गुजरात में बीजेपी 1995 से सत्ता में है। पार्टी ने इसे बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। यूपी के चुनाव खत्म होने के साथ ही इसकी शुरुआत हो गई थी। नरेंद्र मोदी और अमित शाह यूपी चुनाव के अगले ही दिन गुजरात के लिए रवाना हो गए थे। वह वहां दो दिन तक रहे और सोमनाथ मंदिर भी गए थे।

इसलिए पटेल हैं अहम
दो दशक से पाटीदार वोट की वजह से बीजेपी गुजरात को फतह करती रही है। पाटीदारों के लिए कांग्रेस और बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी है। इस चुनाव में वो राजनीति का केंद्र बन गए हैं। राज्य में करीब 20% पाटीदार हैं। जातिवार देखें तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के पास, पाटीदारों को छोड़कर, 42-42 फीसदी वोट हैं। माना जाता है कि पाटीदारों ने दो दशक से बीजेपी को जिताने में अहम भूमिका निभाई है।

2012 के विधानसभा चुनाव में 80% पाटीदारों के वोट बीजेपी को मिले
पटेलों में दो कैटेगरी हैं लेउवा और कड़वा हैं। हार्दिक, कड़वा पटेल हैं। केशुभाई पटेल लेउवा समुदाय से हैं। 1990 के दशक से ही करीब 80% पटेल, बीजेपी को वोट देते आए हैं। पाटीदार समुदाय में लेउवा 60% और कड़वा 40% हैं। 2012 में बीजेपी को करीब 63% लेउवा और 82% कड़वा के वोट मिले थे।

पिछले तीन चुनावों में हार-जीत में 10% वोटों का अंतर
कांग्रेस को 1985 के चुनाव में 55.6% वोट मिले थे। 2012 में यह 38.9% तक पहुंच गया। इस दौरान बीजेपी का ग्राफ 15% से 48% तक पहुंच गया। पिछले 3 चुनावों में बीजेपी को 48-50% वोट मिले। हर बार बीजेपी-कांग्रेस के बीच 10% वोटों का अंतर रहा है।

राहुल को जवाब: शाह ने चुना सरदार पटेल का घर
राहुल के सौराष्ट्र पहुंचने पर पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने उनका स्वागत किया था। ऐसे में पटेलों के कांग्रेस की ओर झुकाव को रोकने के लिए बीजेपी ने सरदार पटेल के घर से ही यात्रा को हरी झंडी दिखाई। 2012 में बीजेपी को 48% वोट मिले थे, जिनमें 11% पाटीदारों का था। इसलिए इस बार बीजेपी की सबसे बड़ी चिंता पाटीदार हैं।

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