शिवराज सिंह को सताने लगा हार का डर: चुनाव 2018

भोपाल। भाजपा के स्टार प्रचारक और सबसे सफल मुख्यमंत्रियों में से एक शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर घबराहट का शिकार हो गए हैं। इस बार उन्हे 2018 के विधानसभा चुनाव में संभावित हार का डर सता रहा है या फिर शायद इस बात का कि 18 के चुनाव का चेहरा वो होंगे भी या नहीं। भोपाल में इन दिनों संघ की बैठक चल रही है और सीएम का एक बयान सामने आया है। उन्होंने कहा 'मैं रहूं या न रहूं, ऐसी व्यवस्था करके जाऊंगा कि बेटियों की पढ़ाई नहीं रुकेगी।'

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने ड्रीम प्रोजेक्ट लाड़ली लक्ष्मी योजना के 11 साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। अक्सर आत्मविश्वास और खुद को चिरस्थाई मुख्यमंत्री मानते हुए धपाधप घोषणाएं करने वाले सीएम शिवराज सिंह ने अपने स्वभाव के विपरीत बयान दिया। बोले - मैं रहूं या न रहूं, ऐसी व्यवस्था करके जाऊंगा कि बेटियों की पढ़ाई नहीं रुकेगी, इसके लिए कानून बनाकर जाऊंगा। 

इसमें घबराहट कैसी
इस तरह के बयान सीएम शिवराज सिंह के मुख से सामान्यत: सुनाई नहीं देते। यह विशेष इसलिए भी हो जाता है कि इन दिनों भोपाल में आरएसएस की बैठक चल रही है। कुछ दिनों पहले अमित शाह भोपाल आए थे। शिवराज सिंह के चेहरे का रंग उस दिन भी उड़ा हुआ था और अब जबकि आरएसएस की बैठक चल रही है तब भी वो असंयमित हो रहे हैं। उनका चेहरा साफ बता रहा है कि उनके दिमाग का एक हिस्सा किसी उधेड़बुन में है। बता दें कि एक गोपनीय रिपोर्ट यह भी आई है कि यदि भाजपा 19 के चुनाव में चेहरा बदल दे या फिर बिना चेहरे के चुनाव लड़े तो कांग्रेस को फिर से 70 पर समेटा जा सकता है। अब जबकि कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया लगभग तय हो गए हैं तो श्रीमंत को हराने का आनंद संघ हर हाल में उठाना चाहता है, फिर चाहे इसके लिए मामा को फार्महाउस पर ही क्यों ना भेजना पड़े। 

व्यापमं के समय भी हुआ था ऐसा ही तनाव
व्यापमं घोटाले के समय भी शिवराज सिंह चौहान ऐसे ही तनाव में दिखाई दे रहे थे। उन दिनों तो कई लोगों ने यह मान भी लिया था कि शिवराज सिंह चौहान इस्तीफा देकर चले जाएंगे। हालात विकट थे और सहयोगी कम होते चल रहे थे। तनाव इस कदर बढ़ा कि शिवराज सिंह कुछ नई बीमारियों से भी घिर गए लेकिन चैत का सपूत इतनी आसानी से हार कहां मानने वाला था। एन मौके पर शिवराज सिंह ने बाजी पलटी और अब व्यापमं के भूत से उन्हे क्या किसी को भी डर नहीं लगता। 

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