गुजरात में बने 15 साल पुराने हालात, तब कांग्रेस थी अब भाजपा है

अहमदाबाद। गुजरात में चुनाव आयोग ने भले ही तारीख का ऐलान ना किया हो परंतु चुनावी समर शुरू हो चुका है। भाजपा यहां अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। यह चुनाव नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा का चुनाव है। वो खुद चुनावी चेहरा बनकर सामने आ गए हैं। हालात बिल्कुल 2002 जैसे हो गए हैं। फर्क बस इतना है कि 2002 में यही सबकुछ कांग्रेस कर रही थी, 17 में भाजपा कर रही है। तब 14 राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेस के सभी 14 सीएम ने यहां प्रचार किया था। अब 15 साल बाद राज्य में भाजपा के 14 सीएम प्रचार करेंगे। 

25 सीटों पर उत्तर भारतीयों का असर 
पार्टीयोगी के जरिए उत्तर भारतीय वोटर्स को साधना चाहती है। राज्य में 25 सीटें ऐसी हैं, जहां उत्तर भारतीय हार-जीत में निर्णायक की भूमिका निभाते हैं। खासकर, सूरत, अहमदाबाद क्षेत्र में। सबसे ज्यादा उ. भारतीय सूरत और दक्षिण गुजरात में रहते हैं, यहां इनका वोट शेयर 7 से 10 फीसदी है। सूरत में करीब 45 लाख है, इसमें 26% उ. भारतीय हैं। 

88% हिंदू आबादी पर फोकस 
भाजपाको गुजरात में कई मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें दलित, पाटीदार आंदोलन प्रमुख हैं। वहीं, राहुल गांधी भी राज्य में ताबड़तोड़ रैली कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा 22 साल पुराने दुर्ग को बचाने के लिए चुनाव से पहले ही योगी को उतारा है। ताकि राज्य के 88% हिंदू वोटरों को एकजुट किया जा सके। 

योगी का हिंदुत्व मॉडल
यूपीमें योगी की छवि कट्टर हिंदू नेता की रही है। यूपी चुनाव में उन्होंने 200 चुनावी सभाएं की थीं। अब सीएम बनने के बाद भी योगी अपने ‘हिंदुत्व मॉडल’ को आगे बढ़ा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अयोध्या के सरयू तट पर भगवान राम की 100 मीटर की मूर्ति और दीपावली महोत्सव मनाने की घोषणा की थी। 

मोदी के बाद सबसे बड़े हिंदू फेस 
यूपीचुनाव के बाद योगी हिमाचल और गुजरात में पहली बार बतौर स्टार कैंपेनर उतरेंगे। योगी से पहले मोदी भाजपा के सबसे बड़े हिंदुत्व फेस माने जाते रहे हैं। वह जब गुजरात के सीएम थे तो पार्टी के स्टार कैंपेनरों में उनका नाम सबसे ऊपर होता था। अब मोदी की छवि विकासवादी नेता की है। ऐसे में पार्टी हिंदुत्व फेस के लिए योगी को सबसे फिट मान रही है। 

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