जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शासकीय कर्मचारियों की तबादला नीति के संदर्भ में एक एतिहासिक आदेश जारी किया है। इसके तहत यदि किसी कर्मचारी की पत्नी गर्भवती है और उसके घर में देखभाल करने वाला कोई दूसरा पुरुष उपलब्ध नहीं है तो ऐसी स्थिति में कर्मचारी का तबादला 'अमानवीय ट्रांसफर' की श्रेणी में माना जाएगा। इस अवैध है। इसे निरस्त किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता दमोह निवासी महेश गुप्ता की ओर से अधिवक्ता श्रीमती सुधा गौतम ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि पूर्व में हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि पत्नी के गर्भवती होने के कारण दमोह से पन्ना ट्रांसफर पर पुनर्विचार किया जाए। इसके बावजूद ऐसा नहीं किया गया।
इसके स्थान पर संवेदनहीन होकर कठोर आदेश पारित कर दिया गया। इसी से व्यथित होकर दोबारा हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। यदि ट्रांसफर आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो गर्भवती पत्नी दमोह में अपनी बीमार सास के साथ अकेली रह जाएगी। ऐसे में दोनों की देखभाल मुश्किल होगी।