पाकिस्तान को एक और हमले का मौका देने जा रही थी UPA सरकार: खुलासा

नई दिल्ली। मनमोहन सिंह सरकार को सत्ता के गलियारों से बेदखल हुए 3 साल हो गए लेकिन उसके बारे में खुलासे अब भी जारी हैं। ताजा खुलासा भारत के पूर्व विदेश सचिव श्याम सरण ने किया है। उन्होंने बताया कि मनमोहन सरकार सियाचिन ग्लेशियर से सेना वापस लेना चाहती थी। पाकिस्तान से इस मुद्दे पर बातचीत की गई थी। यदि ऐसा हो जाता तो पाकिस्तान को एक और करगिल जैसा हमला करने का अवसर मिल जाता परंतु इससे पहले कि पाकिस्तान कोई रणनीति बना पाता भारतीय सेना ने सरकार को कड़ी चेतावनी दी और सरकार ने इस दिशा में अपने कदम पीछे खींच लिए। 

तत्कालीन सेना प्रमुख जेजे सिंह ने कहा कि सेना कभी भी इसके लिए तैयार नहीं थी, और सरकार को इसकी जानकारी दी गई थी। हालांकि, यह जानकारी तभी दी गई, जब इस मुद्दे पर पाकिस्तान से बातचीत हो गई थी। श्याम सरण सिंह ने अपनी किताब ( हाउ इंडिया सी द वर्ल्डः कौटिल्य टू द 21 सेंचुरी) में इसका खुलासा किया है। इसके अनुसार बातचीत 2005-06 में की जा रही थी। पूर्व सेना प्रमुख जेजे सिंह ने एक चैनल से बात करते हुए साफ किया कि उन्होंने मनमोहन सरकार को साफ तौर पर चेतावनी दी थी। सरण का दावा है कि दोनों सरकारें इस पर बात कर रही थीं। लेकिन सेना ने शुरुआत में राय नहीं ली गई थी। 

तब के विदेश मंत्री नटवर सिंह ने भी इसकी पुष्टि की है। उनका कहना है कि वे पाकिस्तान गए थे। और इस मुद्दे पर बातचीत हुई थी। सरण के अनुसार तब तक सेना को यह बात नहीं बताई गई थी। जब सीसीएस (कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्यूरिटी) की बैठक हुई, इसमें आर्मी चीफ भी थे, उन्होंने साफ तौर पर इसके खिलाफ चेतावनी दी। इसके बाद इस समझौते से पीछे मुड़ा जा सका। रक्षा विशेषक्ष जीडी बख्शी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि संभव है मनमोहन सिंह नोबल पुरस्कार की आस में ऐसा करना चाहते हों।  

रक्षा विशेषज्ञों का दावा है कि अगर ऐसा हो जाता, तो पाकिस्तान एक और कारगिल जैसे युद्ध को अंजाम दे देता, क्योंकि वह विश्वास करने योग्य पड़ोसी नहीं है। आपको बता दें कि 1999 में मई से जुलाई के बीच कारगिल युद्ध हुआ था, जिसमें पाकिस्तानी सेना की ओर से हमला कर दिया गया था। भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था।

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