अब TEACHERS से बेगार कराई तो हाईकोर्ट की अवमानना होगी

ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए शिक्षकों से कराए जा रहे गैर शिक्षण कार्यों पर रोक लगा दी है। केन्द्र और राज्य शासन से चार सप्ताह में आवश्यक रूप से जवाब पेश करने का आदेश दिया है। राजपत्रित प्रधानाध्यापक प्रादेशिक संघ की अध्यक्ष अर्चना राठौर ने जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने याचिका में तर्क दिया कि प्रशासन ने शिक्षकों को ऐसे कामों में लगा दिया है, जिसके चलते स्कूल में पढ़ाने का काम कम करते हैं। इससे शिक्षा का स्तर गिर गया है।

उन्होंने ये तर्क दिया कि स्कूलों के उत्थान के लिए सरकार आम आदमी पर टैक्स लगा रही है, लेकिन स्कूलों की दिन प्रतिदिन हालत खस्ता होती जा रही है। मूलभूत सुविधाओं के लिए छात्र तरस रहे हैं। भारत सरकार का स्वच्छता अभियान चलने के बाद भी स्कूलों में गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। शिक्षकों की स्थिति मजदूरों से भी बुरी कर दी है। जिला प्रशासन दूसरे कामों में लगा रहा है, जिसके चलते शिक्षक स्कूल में पढ़ाने नहीं जा पा रहे हैं।

शिक्षकों की ड्यूटी प्याज वितरण, सामूहिक विवाह, पूड़ी बांटने, सालभर निर्वाचन का कार्य, बच्चों को विटामिन की गोलियां, स्कूल चलें हम सर्वे जैसे कार्यक्रमों में लगाई जा रही है। इसका शासकीय स्कूलों में बुरा प्रभाव पड़ा है। क्योंकि रिजल्ट बिगड़ रहा है। इस कारण छात्र भी आत्महत्याएं कर रहे हैं। शिक्षा में सुधार के लिए शिक्षकों से दूसरा काम न कराया जाए। स्कूलों की सुविधाओं में भी इजाफा किया जाए। इसलिए शिक्षकों से कराई जा रही बेगारी पर रोक लगा दी जाए। कोर्ट ने सुनवाई के बाद शिक्षकों से कराए जा रहे गैर शिक्षण कार्य पर रोक लगा दी। साथ ही केंद्र और राज्य सरकार को जवाब पेश करने लिए चार सप्ताह का समय दिया है।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !