औचित्यहीन सूचनाएं RTI के तहत अनिवार्य नहीं: हाईकोर्ट

लखनऊ। उत्तरप्रदेश हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को एक याचिका को खारिज करते हुए ​कहा कि औचित्यहीन सूचनाओं की मांग आरटीआई के तहत अनिवार्य नहीं मानी जा सकतीं। सूचना मांगने का औचित्य भी समझ आना चाहिए। कोर्ट ने विस्तृत सूचना के आधार पर आरटीआई में सूचना दिए जाने से मना करने के प्रावधान को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने लगाई थी। बता दें कि डॉ नूतन ठाकुर आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्नी एवं सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। 

एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर द्वारा दाखिल की गई इस याचिका में चुनौती दी गई थी कि उत्तर प्रदेश आरटीआई नियमावली के नियम 4(2)(बी)(v) में कहा गया है कि यदि सूचना इतनी विस्तृत हो कि इससे सरकारी अधिकारी की दक्षता प्रभावित हो रही हो तो उसे दिए जाने से मना किया जा सकता है। 

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस दया शंकर त्रिपाठी की बेंच ने नूतन और मुख्य शासकीय अधिवक्ता रमेश पाण्डेय की बहस सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि यह प्रावधान सूचना देने की प्रक्रिया में संतुलन हेतु रखा गया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आवेदिका ने मुख्यमंत्री द्वारा 1 जनवरी 2006 के बाद से समस्त बाहरी दौरों और उसी तारीख से सभी आईपीएस अफसरों के तबादलों के आदेश मांगे थे, जो औचित्यपूर्ण नहीं थे।

कोर्ट ने कहा कि आरटीआई एक्ट का उद्देश्य प्रशासन में पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व लाना है लेकिन सूचना मांगे जाने का कोई औचित्य भी होना चाहिए। कोर्ट के अनुसार इन कारणों से नियम 4(2)(बी)(v) पूरी तरह वैध है।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !