MP में संविदा नियुक्ति नियम तैयार, जल्द लागू होंगे

भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार अब मप्र में संविदा नियुक्ति नियम बनाने जा रही है। अब तक ऐसी नियुक्तियों के लिए कोई नियम नहीं थे। सामान्य प्रशासन विभाग ने 2011 में निर्देश जारी किए थे। विभागों ने अपने अपने नियम बना लिए। जो जरुरतों के हिसाब से अलग अलग हैं और विवाद का कारण बन गए हैं। प्रमोशन में आरक्षण और नियमित पदों पर रुकी हुईं भर्तियों के कारण अब सिविल सेवाओं में भी संविदा भर्तियों की तैयारियां की जा रहीं हैं। इसीलिए नियम का मसौदा तैयार कर लिया गया। उच्च स्तर पर समीक्षा का काम चल रहा है। जल्द ही मप्र में यह नियम लागू कर दिए जाएंगे। 

पत्रकार श्री वैभव श्रीधर की रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में अभी तक संविदा नियुक्ति के कोई नियम नहीं हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने 2011 में इसको लेकर दिशा-निर्देश निकाले थे। इसके आधार पर कुछ विभागों ने अपने-अपने नियम बना लिए थे पर इनमें एकरूपता नहीं थी। इसके मद्देनजर सरकार ने सिविल पदों पर संविदा नियुक्ति नियम बनाने का फैसला किया था। इसकी फाइल बेहद तेजी से दौड़ी और नियमों का मसौदा गुरुवार को तैयार हो गया। इसमें ये प्रावधान भी प्रस्तावित किया गया कि मौजूदा व्यवस्था से उपयुक्त व्यक्ति नहीं मिलने पर गैर सरकारी सेवक को भी संविदा नियुक्ति के लिए चुना जा सकता है।

अधिकारियों का कहना है कि ये कदम तभी उठाया जाएगा, जब नियमित पद खाली हो। पदोन्न्ति या फीडर कैडर से योग्य व्यक्ति न मिल रहा हो। व्यवस्था के बाहर से जो व्यक्ति लिया जाएगा, उसे संबंधित पद की योग्यताएं पूरी करनी होंगी। बताया जा रहा है कि नियम के मसौदे को कैबिनेट में रखने से पहले वित्त और विधि विभाग से राय ली जाएगी। इसके बाद इसे अंतिम रूप देकर लागू किया जाएगा। नियम लागू होते ही अन्य विभागों ने जो नियम बना रखे हैं, वे प्रभावहीन हो जाएंगे।

छत्तीसगढ़ में पांच साल पहले बने नियम
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार पांच साल पहले 2012 में ही संविदा नियुक्ति नियम बना चुकी है। वहां भी संविदा नियुक्ति को लेकर मध्यप्रदेश जैसे ही हालात हैं। इंजीनियरों से लेकर कई पदों पर संविदा नियुक्तियां हो रही हैं। प्रदेश में लगभग एक लाख संविदा अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत हैं। अकेले ग्रामीण विकास विभाग में ही 25 हजार से ज्यादा संविदा अमला है।

सीधी भर्ती और पदोन्नतियां नहीं होने से बिगड़े हालात
बताया जा रहा है कि लंबे समय तक सीधे भर्ती न होने और पदोन्नतियों पर रोक होने से हालात बिगड़ गए हैं। स्थिति यह हो गई है कि सरकार को सेवानिवृत्त हो चुके और होने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों से संविदा नियुक्ति के लिए आवेदन मांगने पड़े थे। हाल ही में कैबिनेट ने राजस्व विभाग को सेवानिवृत्त तहसीलदार और नायब तहसीलदारों को संविदा नियुक्ति पर रखने के लिए मंजूरी दी है। तकरीबन हर कैबिनेट बैठक में एक-दो अधिकारियों की संविदा नियुक्ति के प्रस्ताव आते हैं।

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