सरेंडर करना चाहता है अंडरवर्ल्ड DON दाऊद इब्राहिम: ठाकरे

मुंबई। मुंबई बम धमाकों सहित कई मामलों में भारत का मोस्ट वांटेड डॉट दाऊद इब्राहिम अब सरेंडर करना चाहता है। वो अपंग हो चुका है और अपनी जिंदगी का आखरी वक्त भारत में गुजारना चाहता है क्योंकि उसे मालूम है कि पाकिस्तान या दुबई समेत किसी भी देश में उसकी कब्र को वो सम्मान नहीं मिलेगा जो भारत में गुनहगार होने के बाद भी मिल सकता है। पिछले साल लीक हुई इस सूचना की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने पुष्टि की है। उन्होंने मोदी सरकार को इसके लिए निशाने पर लिया है। 

ठाकरे ने कहा कि अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद खुद भारत आने का इच्छुक है। केंद्र सरकार उसे यह मौका देकर उसे भारत लाने का श्रेय लेना चाहती है। राज ठाकरे ने आज मुंबई में अपने फेसबुक पेज का उद्घाटन करने के बाद मोदी एवं फड़णवीस सरकार पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार बार-बार कहती है कि वह दाऊद को भारत लाकर रहेगी। वास्तव में दाऊद खुद भारत आना चाहता है। वह अब अपंग हो चुका है। इसलिए अपना अंतिम समय भारत में गुजारना चाहता है।

इसके लिए केंद्र सरकार से उसकी बातचीत शुरू है। अब सरकार उसे भारत लाकर यह दावा करते हुए चुनाव लड़ना चाहती है कि मैंने दाऊद को भारत लाने का वायदा पूरा किया। राज ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे टिप्पणी करते हुए कहा कि मोदी सरकार झूठ बोलकर सत्ता में आई है। जिस सोशल मीडिया का उपयोग करके मोदी सत्ता मे आए, अब वही सोशल मीडिया उन्हें गैरजरूरी लगने लगा है। ठाकरे का मानना है कि मोदी के ट्वीटर एकाउंट में 48 फीसद एवं राहुल गांधी के एकाउंट में 54 फीसद फॉलोवर्स फर्जी हैं।

लंबे समय से महाराष्ट्र की राजनीति के हाशिए पर चल रहे राज ठाकरे ने प्रधानमंत्री की महत्त्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि मुंबई–अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन की जरूरत ही क्या है ? क्या दिल्ली या देश के किसी और शहर को बुलेट ट्रेन के जरिए मुंबई से नहीं जोड़ा जा सकता था ? राज ने सवाल उठाया कि देश भर में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। उनके लिए कुछ करने के बजाय बुलेट ट्रेन पर करोड़ों रुपए खर्च करने की आवश्यकता क्या है ?

राज ठाकरे ने मुंबई की नई मेट्रो रेल परियोजना पर भी अपना चिरपरिचित मराठी कार्ड खेलने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि मेट्रो रेल का मार्ग इस प्रकार तैयार किया गया है, जिसके आसपास महंगे फ्लैट बनाए जा सकें। जिन्हें सिर्फ गुजराती समाज खरीद सकेगा। ऐसा फ्लैट मराठियों के किसी काम नहीं आएंगे। लेकिन मुंबई हमारी थी, हमारी है और हमारी ही रहेगी।

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