व्यापमं घोटाला | CBI, शिवराज सिंह सरकार की प्रवक्ता बन गई है: कांग्रेस का आरोप

भोपाल। व्यापमं घोटाले के तहत संदिग्ध बताई गईं मौतों के मामले में CBI की क्लोजर रिपोर्ट वाली खबर सामने आने के बाद कांग्रेस ने CBI पर बड़ा हमला किया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि CBI मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह सरकार की प्रवक्ता बन गई है एवं आरोपियों को बचाने वाली कार्रवाई कर रही है। कांग्रेस ने सीबीआई पर धीमी जांच का भी आरोप लगाया है। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से जारी हुए प्रेस बयान को हम शब्दश: प्रकाशित कर रहे हैं, पढ़िए क्या कुछ लिखा है इसमें: 

प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता श्री के.के. मिश्रा ने मप्र के बहुचर्चित व्यापमं महाघोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जारी सीबीआई जांच की धीमी गति, जांच के दौरान दोषी बड़े मगरमच्छों को बचाने के प्रयास, व्यापमं महाघोटाले की जांच कर रही विभिन्न विशेष अदालतों में से 9 अदालतों को बंद किये जाने की उच्च न्यायालय में दी गई दलील और इस घोटाले की जद में आये 40 लोगों की हत्या/ आत्महत्या के अधिकांश मामलों में लगायी गई क्लोजर रिपोर्ट, जिसमें यह कहा गया है कि मरने वालों की मौत की वजह कर्ज तंगी और प्रेम त्रिकोण जैसे कारण है, को राजनैतिक दबाववश किया जा रहा जांच का हिस्सा बताया है। 

श्री मिश्रा ने कहा है कि सीबीआई के उक्त आचरण से तो यही कहना प्रासांगिक होगा कि देश की एक निष्पक्ष कही जाने वाली जांच एजेंसी सीबीआई एक राजनैतिक खिलौना बन इस महाघोटाले की दोषी भाजपा और राज्य सरकार की प्रवक्ता बन चुकी है। लिहाजा, प्रवक्ता के रूप में सीबीआई को विशेष अदालतों में चल रहे विभिन्न प्रकरणों से संबंधित फैसला आने के पूर्व यह भी घोषित कर देना चाहिए कि मप्र में व्यापमं महाघोटाला हुआ ही नहीं है? 

श्री मिश्रा ने कहा है कि व्यापमं महाघोटाला उजागर होने के बाद इससे संबद्ध 57 मौतों/ हत्याओं/ आत्महत्याओं की सूची प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री अरूण यादव की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी ने डीआईजी, सीबीआई को सौंपी थी, किन्तु नतीजा सिफर रहा। यही नहीं कई हाईप्रोफाईल उन लोगों की प्रामाणिक जानकारी भी कांग्रेस ने सीबीआई को सौंपी थी, जिसमें उनकी संबद्धता सीधी तौर पर दिखाई दे रही थी। दुर्भाग्य है कि सीबीआई ने उन्हें बुलाकर उनके बयान लेना तक मुनासिब नहीं समझा, आखिरकार ऐसा क्यों? 

व्यापमं महाघोटाले के दौरान हुई 9 मौतों के मामलों में पोस्टमार्टम नहीं करवाये जाने की जिम्मेदारी किसकी थी, अनुसंधान में सीबीआई ने उनसे संबंधित लोगों को तलब क्यों नहीं किया? समूची जांच पर यह प्रश्नचिन्ह सवालिया निशान है। 

श्री मिश्रा ने सीबीआई जांच पर भी प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि सीबीआई प्रवक्ता, सीबीआई की स्थापित छवि और निष्पक्षता को प्रमाणित करने के लिए क्या यह भी बतायेंगे कि एफआईआर, सीडीआर और पूर्व जांच एजेंसी एसटीएफ के रिकॉर्ड में मौजूद केंद्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ कार्यवाह श्री सुरेश सोनी व्यापमं की पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ आईएएस सुश्री रंजना चौधरी, मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के रिश्तेदार  डॉ. गुलाबसिंह किरार, उनके बेटे शक्तिसिंह किरार, मुख्यमंत्री के ही नजदीकी राघवेन्द्र सिंह तोमर के विरूद्ध तमाम प्रामाणिक साक्ष्यों के बावजूद सीबीआई ने उनके बयान तक दर्ज क्यों नहीं किये? 

मुख्यमंत्री निवास से उपयोग में लाये जाने वाले बीएसएनएल के मोबाईल नं. 94256-09855 जिसका उपयोग स्वयं मुख्यमंत्री करते थे। बीएसएनएल की योजना के तहत उनके द्वारा उपयोग में लाये जा रहे इस मोबाईल सिम के साथ एक अन्य एडऑन (ADDON) नंबर 94256-09866 आवंटित थी, जिसका उपयोग श्रीमती साधनासिंह करती थीं, इस सिम से व्यापमं महाघोटाले के हाईप्रोफाईल आरोपियों को कई कॉल किये गये थे, उन कॉल्स की डिटेल व उनके लोकेशन की जांच की परिधि को शामिल क्यों नहीं किया गया? इन नंबरों को प्रकाश में आने के बाद ये सिमें एकाएक बंद क्यों कर दी गई? 

परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012, में 198 परिवहन आरक्षकों की भर्ती हेतु अधिसूचना मई-2012, में प्रकाशित हुई, किन्तु अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों के नियमों से परे महिला परिवहन आरक्षकों की नियम विरूद्ध भर्ती कैसे और क्यों की गई? 198 स्वीकृत पदों के विरूद्ध बिना किसी सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति लिये बगैर अवैधानिक तरीके से 332 परिवहन आरक्षकों का चयन कैसे कर लिया गया, इसकी जबावदेही किसकी थी, यह महत्वपूर्ण तथ्य सीबीआई द्वारा की जा रही व्यापक जांच के बिन्दुओं से अछूते क्यों रहे? श्री मिश्रा ने कहा कि सीबीआई को इन बिन्दुओं का भी जबाव देना चाहिए, ताकि देश की इस महत्वूपर्ण जांच एजेंसी की प्रतिष्ठा धूमिल न हो ?

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