BHU: गोकर्ण की जांच में कुलपति दोषी, सारे अधिकार सीज, प्रॉक्टर का इस्तीफा

लखनऊ। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में बदमाशों से अपनी सुरक्षा की मांग कर रहीं छात्राओं पर लाठीचार्ज के बाद देश भर के निशाने पर आ गए इस मुद्दे में वाराणसी के कमिश्नर नितिन गोकर्ण की जांच रिपोर्ट आ गई है। उन्होंने इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन को दोषी बताया है। इसी के साथ कुलपति गिरीश त्रिपाठी को दिल्ली तलब किया गया और उनके सारे अधिकार छीन लिए गए। अब वो नाम के कुलपति रह गए हैं और नवम्बर में रिटायरमेंट तक नाम के ही कुलपति रहेंगे। चीफ प्रॉक्टर ओंकारनाथ सिंह ने इस पूरे मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद इस्तीफे की पेशकश की है।

गिरीश चंद्र त्रिपाठी 26 नवंबर को विश्वविद्यालय के कुलपति पद से रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में सूत्रों ने बताया कि वह फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे। दरअसल मंगलवार को कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी, जिसमें इस पूरे मामले में उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। वाराणसी के कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने मुख्य सचिव राजीव कुमार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रशासन को दोषी ठहराया है। इस बीच बीएयचू प्रशासन ने इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने का फैसला किया है।

शासन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेज दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएचयू प्रशासन ने पीड़िता की शिकायत पर संवेदनशील तरीके से गौर नहीं किया और वक्त रहते इसका समाधान नहीं किया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर वक्त रहते इस मामले को सुलझा लिया गया होता, तो इतना बड़ा विवाद खड़ा नहीं होता।

बेतुकी बयानबाजी का रहे हैं कुलपति
कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी इस मामले को एक नया मोड़ देने की कोशिश कर रहे हैं। कभी राष्ट्रवाद तो कभी संस्थान की अस्मिता की बात कर रहे हैं। अब उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को प्रभावित करने के लिए माहौल बिगाड़ा गया। प्रदर्शनकारी छात्राओं से मिलने तक से इंकार कर चुके त्रिपाठी अब हर टीवी चैनल पर बयान दे रहे हैं। एक समाचार चैनल से बातचीत में उन्होंने छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज और परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने की बात को झुठलाते कहा कि प्रधानमंत्री के दौरे को प्रभावित करने के लिए 'बाहरी तत्वों' ने कैम्पस का माहौल बिगाड़ा।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग कैम्पस में पेट्रोल बम फेंक रहे थे, पत्थरबाजी कर रहे थे। किसी भी छात्रा पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई का एक भी प्रमाण नहीं है। कुलपति ने कहा, "23 सितंबर की रात लगभग 8.30 बजे जब मैं छात्राओं से मिलने त्रिवेणी छात्रावास जा रहा था, उस समय अराजक तत्वों ने मुझे रोककर आगजनी और पत्थरबाजी शुरू कर दी।" इस बीच बीएचयू के वीसी से जब इस मामले में सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि व्यक्ति की अस्मिता का बहुत महत्व है पर संस्थानों की अस्मिता का भी ध्यान रखना चाहिए।

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