हाईकोर्ट में झुकीं ममता बनर्जी, मूर्ति विसर्जन का समय बदला

कोलकाता। मूर्ति विसर्जन की समय सीमा तय करने के अपने फैसले को लेकर लोगों के निशाने पर आईं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आखिरकार अपना फैसला बदलना पड़ा। सरकार ने शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में कहा है कि लोग विजयदश्मी के दिन रात 10 बजे तक मूर्ति विसर्जन कर सकते हैं। पहले सरकार ने तय किया था कि मूर्ति विसर्जन शाम 6 बजे तक ही हो सकेगा। इसके पीछे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दलीली दी थी कि मुहर्रम और विजयादश्मी एक साथ होने के कारण मूर्ति विसर्जन शाम 6 बजे के बाद नहीं किया जा सकता। इसके बाद कई संगठन इस पर विरोध दर्ज कराते हुए मामले को कोर्ट ले गए थे। 

इस मामले में शुक्रवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि जब मुंबई में गणेश विसर्जन और मुहर्रम एक साथ हो सकता है, तो आप क्यों नहीं कर सकते? इस पर राज्य सरकार ने विजयदशमी के दिन विसर्जन की समय सीमा को बढ़ाकर रात 10 बजे तक करने की बात कही। इस मामले पर अगली सुनवाई सोमवार को होगी। 

गौरतलब है कि विसर्जन पर पाबंदी को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट में ममता बनर्जी के खिलाफ याचिका दायर की गयी थी। दरअसल याचिका मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 23 अगस्त को किए गए ट्वीट को केंद्र में रखकर किया गया था। जिसमें दशमी के दिन 6 बजे तक ही विसर्जन की इजाजत दी गयी थी और अगले दिन मुहर्रम है। लिहाजा विसर्जन पर रोक लगा दी गयी थी और विसर्जन फिर 2 तारीख से किए जाने के आदेश दिए गए थे। 

इसको लेकर यूथ बार एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया कार्यालय के पदाधिकारी सनप्रित सिंह अजमानी, कुलदीप राय और रिकी राय की और से याचिका की गयी थी. जिसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री के ट्विटर अकाउंट के लाखों फॉलोवर हैं और ये समुदाय विशेष के तुष्टिकरण के लिए बड़े समुदाय के धार्मिक रस्म रिवाज के साथ ठीक नहीं किया जा रहा है। इससे भावनाएं आहत होने के साथ सद्भाव बिगड़ने की भी आशंका है। साथ ही संविधान की धारा 14, 25 और 26 का उल्लंघन भी है। 

पिछले साल भी ममता बनर्जी के इसी तरह के आदेश पर मामला कोर्ट में गया था।  कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगते हुए कहा था कि ये तुष्टीकरण की नीति है और राजनीति को धर्म से न जोड़े। कोर्ट ने पिछली साल ये भी कहा था कि 1982 और 1983 में दशमी और मुहर्रम इसी तरह एक दिन आगे पीछे पड़ा था तब तो कोई पाबंदी नहीं लगाई गई थी।

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