नवरात्र व्रत से क्या क्या फायदे होते हैं, यहां पढ़िए

नवरात्रि व्रत के संदर्भ में कुछ अज्ञानी तर्क देते हैं कि मां कभी अपने पुत्र को भूखा रखना नहीं चाहती। अत: नवरात्रि के व्रत पाखंड से ज्यादा कुछ नहीं हैं। निश्चिय ही ऐसे लोगों के पास शास्त्रों का अध्ययन नहीं है। वो अपने कुतर्क को उचित मानने के भूल कर बैठे हैं। यह लेख ऐसे ही लोगों को समर्पित है। साथ ही वे लोग जो मंगल, राहु एवं शनि से पीड़ित हैं अथवा जिनकी पत्रिका में बुध कमजोर है। उनके लिए यह लेख जीवन में सफलता दिलाने वाला है। शारदिय नवरात्रि का पर्व 21 सितम्बर से प्रारम्भ हो रहा है जिसमे नौ दिन संयमित रुप से आहार विहार करने से जातक की चेतना (ऊर्जा) शक्ति जाग्रत होती है साथ ही नवग्रहों के दोष भी शांत होते है। 

लाल किताब के अनुसार देवी दुर्गा को बुध ग्रह का कारक माना गय़ा है। जिनकी कुंडली में बुध ग्रह अशुभ होता है वे शिक्षा में विशेषकर गणित में कमजोर, व्यापार में असफल, अनुमान लगाने में कमजोर होते हैं। ऐसे लोग जल्दी ही क्रोध में आकर संयम की कमी के कारण अपना ही अहित कर लेते है। नवरात्रि में मां दुर्गा की सामान्य उपासना उन्हे शिक्षा, व्यापार में अग्रणी कर सफल बनाने में सहयोग करती है। ऐसे लोग का बुध ग्रह अच्छा होता है। फलस्वरूप ये लोग अच्छी वाणी द्वारा सफल व्यापारी और कुशल प्रशासक बनते है।

मंगल और राहु की शांति
मां भगवती की जो आरती है उसमे एक लाइन आती है की "चौसठ योगिनी मंगल गावत नृत्य करत भैरो। इसका अर्थ यह है की जब हम नवरात्रि व्रत करते है उस समय हमारी पत्रिका में मंगल दोष जिसके कारण हमे हर कार्य में असफलता निराशा या आंतरिक क्रोध का सामना करना पड़ता है जिससे लड़ाई झगडे, कोर्ट केस, सम्बंध विच्छेद का सामना करना पड़ता है, उन सभी से मुक्ति मिलती है। मंगल ग्रह के दोष दूर होने से मानसिक शांति, धैर्य तथा सफलता प्राप्त होती है। लाल किताब में भैरोजी को शनि तथा राहु ग्रह का देवता माना गय़ा है अर्थात माता जी के पूजन से आपकी पत्री में शनि और राहु के अशुभ प्रभाव भी दूर होते है। इस तरह मंगल, राहु और शनि ग्रह जो की मानव जीवन की अधिकतर परेशानियों के कारण है इनकी शांति से जीवन में सुख शांति महसूस होती है।

स्वास्थ्य के लिये श्रेष्ठ
हमेशा सभी नवरात्रि दो ऋतुओं के संधिकाल में ही आती है। इस समय एक ऋतु समाप्त होती है दूसरी प्रारम्भ होती है। इस समय तापमान जलवायु में आने वाला परिवर्तन मानव शरीर झेल नही पाता। फलस्वरूप पेट की तथा अन्य बीमारियों का आक्रमण हो जाता है तथा इन नौ दिन में आहार विहार में किया गय़ा संयम आपको दूसरी ऋतु के लिये तैयार करता है। साथ ही व्रत तथा साधना के प्रभाव से व्यक्ति दिव्यता तथा स्वयं को ऊर्जावान (चार्ज) महसूस करता है। इस तरह हमारे सनातन ग्रंथों में बताये गए सारे पर्व जातक को स्वस्थ व उर्जीत रखने के वैज्ञानिक सूत्र है इनको करने से जातक स्वस्थ व दीर्घायु रहता है।

विद्यार्थियों तथा व्यापारियों के लिये
नवरात्रि में मां की आराधना हमारे अंदर विद्यमान शक्ति (ऊर्जा) को महसूस करने के लिये है।इससे हमारे प्राण प्रखर तथा बुद्धि तेजस्वि होती है। व्यापारी तथा विद्यार्थियों को सभी प्रकार की प्रतिस्पर्धा से आगे निकलने के लिये इसी दिव्यशक्ति की आवश्यकता होती है। नवरात्रि के नौ दिन किया गया खानपान का संयम आपको इस दिव्य ऊर्जा से युक्त कर देता है तब आप अपने सभी प्रतिद्वंदीयों से आगे तथा सफल रहते है।

विशेष
इन नौ दिन में जैसी आपकी क्षमता है वैसा आप संयम रख सकते हैं। कोई भी व्यक्ति एक समय फलाहार तथा एक समय भोजन करके भी रह सकता है। कई लोग दोनो समय फलाहार करते हैं। कुछ लोग लौंग तथा हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी गरमपानी से ये व्रत करते हैं। ये सब आत्मा की दिव्यशक्ति को पहचानने से ही सम्भव है फ़िर भी अपनी क्षमता के अनुसार सभी को ये व्रत स्वयं के कल्याण में लिये करना चाहिये।
प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
9893280184,7000460931
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