बाप ने किया था भ्रष्टाचार, बेटों को 4-4 साल की जेल, 30-30 लाख जुर्माना

भोपाल। मध्यप्रदेश के जबलपुर में लोकायुक्त के विशेष न्यायालय ने गुरूवार 14 सितम्बर 2017 को एक एतिहासिक फैसला किया। इसमें कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर गया प्रसाद (जीपी) पाठक के विरुद्ध चल रहे भ्रष्टाचार के मामले में दोष प्रमाणित पाया और उनके 2 बेटों को 4-4 साल की जेल व 30-30 लाख जुर्माना से दण्डित किया। दरअसल, मुकदमे की सुनवाई के दौरान इंजीनियर गया प्रसाद (जीपी) पाठक की मृत्यु हो गई थी। न्यायालय ने दोनों बेटों को भ्रष्टाचार के पीछे दुष्प्रेरण का दोषी माना और सजा सुनाई। कोर्ट ने बेटों की सभी चल और अचल संपत्ति नीलाम करके राजसात करने का आदेश भी दिया है। संभवत: यह पहला ऐसा मामला होगा, जिसमें पिता के जुर्म में बेटों को लिप्त मानकर सजा सुनाई गई हो। भ्रष्टाचार का यह मामला कोर्ट में 17 साल तक चला।

विशेष न्यायाधीश अक्षय कुमार द्विवेदी की अदालत में अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक प्रशांत शुक्ला ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 22 नवंबर 1995 को लोकायुक्त टीम ने तत्कालीन पीडब्ल्यूडी अधीक्षण यंत्री जीपी पाठक के सागर स्थिति ऑफिस और जबलपुर स्थित निवास पर एक साथ छापा मारा था। इस दौरान आय के अर्जित स्रोतों से 60 लाख रुपए की अधिक संपत्ति जब्त की गई। इसी आधार पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत प्रकरण कायम किया गया।

ट्रायल के दौरान एसई जीपी पाठक की मौत हो गई। कोर्ट ने जिन दो भाइयों को सजा सुनाई वे जबलपुर के रहने वाले हैं। उनके पिता गया प्रसाद (जीपी) पाठक लोकायुक्त की कार्रवाई के दौरान सागर में पीडब्ल्यूडी में अधीक्षण यंत्री के पद पर पदस्थ थे। सुनवाई के दौरान दोनों बेटे प्रशांत (49) और पंकज (47) ने परिवार की संपत्ति अर्जित करने के स्रोत को प्रमाणित नहीं कर पाए। लोकायुक्त की कार्रवाई के समय दोनों बालिग थे।

बेटों को इसलिए हुई सजा
ट्रायल के दौरान भ्रष्टाचार का मुख्य आरोपी अधीक्षण यंत्री जीपी पाठक की 2011 में मृत्यु हो गई। सुनवाई के दौरान लोकायुक्त की स्पेशल कोर्ट ने पाया कि छापे के दौरान उसके दोनों बेटे बालिग हैं और भ्रष्टाचार के पीछे दुष्प्रेरण (उनका भी हाथ होना, प्रेरित करना) के आधार पर सहअभियुक्त की श्रेणी में आते हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार से अर्जित संपत्ति का पूरा लाभ लिया है। इसीलिए उन्हें पिता के न रहने के बाद भी भ्रष्टाचार से अर्जित की गई आय से अधिक संपत्ति के केस में आरोपी पाते हुए सजा सुनाई जाती है।

22 लाख के नकदी-आभूषण भी राजसात
लोकायुक्त की विशेष अदालत ने छापामार कार्रवाई के दौरान इनकम टैक्स विभाग के जरिए सामने आए 22 लाख रुपए के नकदी-आभूषण भी राजसात करने के निर्देश दिए हैं।

प्लास्टिक फैक्ट्री-शेयर ट्रेडिंग से आय दिखाने का प्रयास किया
आरोपी के बेटों ने रिछाई स्थित प्लास्टिक फैक्टरी और प्रशांत सिक्योरिटी के नाम से चल रहे शेयर ट्रेडिंग के काम से आय दिखाने का प्रयास किया गया था लेकिन कोर्ट ने इसे प्रमाणित नहीं माना गया।

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