अरविंद रावल। प्रांतीय स्तर पर सभी अध्यापक नेताओं को एकजुट करने का हमारा अभियान बदस्तूर जारी है। अध्यापक एकजुटता के अभियान में हम बहुत हद तक सफल भी रहे है जिसकी परिणीति 17 सितम्बर की अध्यापक संघर्ष समिति की जिला स्तरीय रैली रही है जिसमे अध्यापकों के सभी संगठनों ने एकजुटता दिखाई। जिसमे उम्मीद से कही ज्यादा अध्यापक शामिल हुए। सबसे सुखद बात यह रही कि आज बहुत लम्बे समय बाद आम अध्यापक मन से अपने हक की लड़ाई के लिए रैली में शामिल होता हुआ नजर आया। संघर्ष समिति के प्रति अध्यापकों का यह विश्वास और उत्साह अंतिम निर्णायक विजय तक बना रहे इस हेतू प्रांतीय स्तर पर सभी अध्यापक नेताओ को सादर संघर्ष समिति में लाने का प्रयास जारी है।
अध्यापक नेतृत्त्व के बीच वैचारिक मतभेदों की खाई बहुत गहरी है। जिसे पाटने में थोड़ा समय लग रहा है। हम साथी मित्र आम अध्यापक है कोई नेता नही है इसलिए सभी अध्यापकों से पुनः यही कहेंगे कि सरकार से अपने हक के लिए लड़ने में अध्यापक संघर्ष समिति को प्रदेश के एक एक अध्यापकों की आवश्यकता है। अतः कोई भी अध्यापक साथी न तो किसी को बड़े बोल बोले न छोटे और ओछे बोल बोले।
हमारे पास समय कम है और संघर्ष लम्बा है इसलिए अपने ही साथियो की कथनी करनी के गड़े मुर्दे उखाड़ने या प्याज के छिलके निकालने से अब कोई मतलब नही है न कुछ इससे हासिल होने वाला है। बेहतर यही होगा कि पिछला सबकुछ भुलाकर अब आगे कैसे अध्यापक संघर्ष समिति के बैनर तले एकजुट होकर अध्यापक हित की अंतिम व निर्णायक लड़ाई किस प्रकार से जीती जाए इस ओर सभी अध्यापक साथियों का प्रयास होना चाहिए।
हमारी कोशिश है कि प्रान्त से लेकर ब्लाक स्तर तक सभी अध्यपको मे एकजुटता हो जाये। हमे उम्मीद ही नही बल्कि पूर्ण विश्वास भी है कि अध्यापक हित मे 2 अक्टूम्बर से अध्यापक संघर्ष समिति के कार्यक्रम का हिस्सा अध्यापक संघो के सभी प्रांताध्यक्ष भी होंगे।