कौन खा रहा है 27 लाख गरीबों का राशन: मुख्य सचिव ने कलेक्टर्स से पूछा

भोपाल। प्रदेश में 75 फीसदी आबादी को एक रुपए किलो में गेहूं, चावल और नमक दिया जा रहा है, फिर भी योजना के दायरे में आने वाले 27 लाख से ज्यादा लोगों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है। आखिर इन 27 लाख लोगों का राशन कहां जा रहा है। वे कौन लोग हैं, जो इनका राशन हजम कर रहे हैं। इस आशय का एक पत्र मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने सभी कलेक्टरों को भेजा है। उन्होंने फर्जी लोगों की जांच कर उनके नाम सूची से काटने और सही लोगों के नाम जोड़ने के आदेश दिए हैं। उन्होंने इस बात पर ऐतराज भी जताया है कि तमाम अभियान और जांच में गलत तरीके से योजना से जुड़े लोगों को अब तक नहीं हटाया गया है।

सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत प्रदेश में 75 प्रतिशत आबादी को रियायती दर पर राशन पाने का अधिकार है। प्रदेश में फर्जी लोगों के नाम सूची में दर्ज होने से वास्तविक लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा है। ये मुद्दा विधानसभा से लेकर मुख्यमंत्री की बैठकों में भी उठ चुका है। पिछले साल चले ग्राम उदय से भारत उदय अभियान में चार लाख से ज्यादा ऐसे परिवार चिन्हित किए गए थे, जिनको सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत रियायती दर पर राशन नहीं मिलना चाहिए। इनके नाम अभी तक सूची से नहीं हटाए गए हैें।

आधार नंबर भी अवैध
इसी तरह 2011 की जनगणना में जितनी आबादी अनुसूचित जाति-जनजाति की थी, उससे कहीं ज्यादा लोगों को राशन मिल रहा है। पांच लाख 33 हजार हितग्राहियों के आार नंबर अवैध हैं तो 34 लाख से ज्यादा के नंबर पूरी तरह सही नहीं हैं। इसके बावजूद इन सभी को राशन मिल रहा है। इसके कारण 5 लाख 89 हजार परिवार यानी 27 लाख 37 हजार सही लोग राशन पाने से वंचित हैं।

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