कर्मचारी: पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी (संशोधन) बिल, 2017 संसद में पेश होगा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी (संशोधन) बिल, 2017 को संसद में पेश करने की मंजूरी दी। इसके तहत सरकार ग्रैच्युटी पर टैक्स छूट सीमा को दोगुना करना चाहती है। अब तक 10 लाख रुपए से अधिक राशि की ग्रैच्युटी पर टैक्स लगता था, लेकिन अब इस पर छूट की सीमा को 20 लाख रुपए तक किया जा सकता है। रिटायरमेंट के बाद नियोक्ता की ओर से कर्मचारी को ग्रैच्युटी दी जाती है। इसके अलावा कंपनियां 5 साल या उससे अधिक समय तक नौकरी करने पर भी कर्मचारी को यह लाभ देती हैं। मौजूदा पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी ऐक्ट, 1972 के तहत सरकारी एंप्लॉयीज को मिलने वाली ग्रैच्युटी की राशि पर टैक्स में छूट मिलती है।

यानी सरकारी कर्मचारियों को ग्रैच्युटी पर कोई टैक्स नहीं देना होता। वहीं, गैर-सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर 10 लाख रुपए तक की ग्रैच्युटी मिलने पर कोई टैक्स नहीं देना होता है, लेकिन इसके बाद टैक्स चुकाना होता है।

10 से अधिक कर्मचारी वाले संस्थानों पर लागू है नियम
जिन संस्थानों में 10 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं, उन सभी पर ग्रैच्यूटी ऐक्ट लागू होता है। एक बार इस ऐक्ट के दायरे में आने के बाद यिदि संस्थान में कर्मचारियों की संख्या 10 से कम भी हो जाए, तो भी उस पर यह नियम लागू रहता है।

जानिए कब मिलती है ग्रैच्युटी
ऐक्ट के तहत कोई भी कर्मचारी लगातार 5 साल या फिर उससे अधिक वक्त तक संस्थान में काम करता है, तो उसे ग्रैच्युटी मिलती है। हालांकि, बीमारी, दुर्घटना, लेऑफ, स्ट्राइक या लॉकआउट की स्थिति में आए व्यवधान को इसमें नहीं जोड़ा जाता।

आमतौर पर कर्मचारी के रिटायर होने पर ही ग्रैच्युटी का भुगतान किया जाता है। मगर, कुछ अन्य स्थितियों में कर्मचारी को ग्रैच्यूटी का लाभ मिलता है। जैसे यदि वह संस्थान में 5 साल तक काम करने के बाद इस्तीफा देता है। यदि कोई एंप्लॉयी 5 साल पूरे नहीं कर पाता है और बीच में ही उसकी मृत्यु हो जाती है, तो भी उसके परिवार को ग्रैच्युटी मिलती है। 5 साल का कार्यकाल पूरा न होने से पहले ही यदि वह हादसे के चलते अक्षम हो जाता है या फिर वह किसी बीमारी का शिकार हो जाता है, तब भी उसे ग्रैच्युटी का लाभ मिलेगा।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !