2 चुनाव में नेताओं की संपत्ति 500% बढ़ गई, सरकार ने क्या किया: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। एक तरफ सरकार ने छोटे से छोटे व्यापारी को भी आय के सभी स्त्रोतों का खुलासा करने के लिए बाध्य कर दिया है वहीं दूसरी ओर नेताओं को इस मामले में भी वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। वो चुनाव में अपनी संपत्ति की घोषणा तो करते हैं परंतु आय के साधन का जिक्र कहीं नहीं किया जाता। कई नेता ऐसे हैं जिनकी संपत्ति 2 चुनावों के दौरान 500% तक बढ़ गई। पता नहीं उन्होंने कौन सा कारोबार किया। उसकी आय का साधन क्या था। एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। एनजीओ ने कोर्ट से अपील की कि इलेक्शन के दौरान एफिडेविट में सोर्स ऑफ इनकम का कॉलम जोड़ा जाए, ताकि कैंडिडेट्स का सोर्स ऑफ इनकम पता चल सके। कोर्ट ने इस संबंध में इलेक्शन कमीशन और केंद्र को नोटिस भी भेजा था। 

जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा, ''सीबीडीटी की ओर से दायर किया एफिडेविड अधूरा है। क्या भारत सरकार का यही एटीट्यूड है? अब तक आपने (सरकार) क्या किया? पहले कहा था कि हम चुनाव सुधार के खिलाफ नहीं हैं। इस बारे में सभी जानकारियां ऑन रिकॉर्ड (कोर्ट में) होनी चाहिए। बेंच को लगता है कि जब सीबीडीटी का एफिडेविट कोर्ट के सामने आया तो यह अधूरा था। इसमें सभी जरूरी जानकारियां मौजूद होनी चाहिए। आप (सरकार) इसे अच्छी तरह से फाइल कर सकते हैं। फिलहाल जो दस्तावेज मिला है वो एक टाइप किए गए कागज के अलावा कुछ नहीं है। आप वेग (अस्पष्ट) स्टेटमेंट ना दें।

CBDT बताए क्या कार्रवाई की है 
इस दौरान कोर्ट ने 12 सितंबर तक इस बारे में सरकार की ओर से एफिडेविट दाखिल करने का ऑर्डर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार को इस जानकारी के पब्लिक के बीच आने से खतरा है तो एफिडेविट सीलबंद लिफाफे में दिया जा सकता है, लेकिन कोर्ट को बताना होगा कि इसके पब्लिक होने से क्या नुकसान होगा।

सरकार ने क्या कहा ?
इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि निष्पक्ष चुनाव देश के लोकतंत्र का अहम हिस्सा हैं। इस बारे में कोर्ट के निर्देशों का हम स्वागत करते हैं। जल्द ही इस बारे में सभी जानकारियां कोर्ट को देंगे। यह सरकार की ओर से चलाए जा रहे स्वच्छ भारत (अभियान) के अंदर आता है। ये सिर्फ कूड़े की सफाई के लिए ही नहीं है। सरकार का नजरिया बिल्कुल सही है।

पिटीशन किसने दायर की?
बता दें कि एनजीओ लोक प्रहरी ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल की है। कोर्ट ने इस आधार पर केंद्र सरकार और इलेक्शन कमीशन को भी नोटिस जारी किया था। पिटीशन में चुनाव के नॉमिनेशन पेपर में एक कॉलम बढ़ाने की मांग की गई है। इसमें कैंडिडेट्स को सोर्स ऑफ इनकम बतानी होगी। पिटीशन के मुताबिक, अब तक देश में कोई भी कैंडिडेट चुनाव लड़ने से पहले अपनी, पत्नी और बच्चों की प्रॉपर्टी की जानकारी इलेक्शन कमीशन को देता है, लेकिन इस इनकम का सोर्स कहीं पर भी नहीं बताया जाता है।

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