15 साल की लड़की से यौन संबंध रेप, शादी के बाद जबर्दस्ती कोई जुर्म नहीं

नई दिल्ली। IPC की धारा 376 (2) एक अजीब किस्म का विरोधाभाष पैदा करती है। भारत में 18 वर्ष से कम आयु की युवती के साथ यौन संबंध स्थापित करना गुनाह है। इसे रेप माना जाता है फिर चाहे युवती की मर्जी क्यों ना शामिल हो परंतु यदि कोई 15 साल की लड़की से बाल विवाह कर ले और फिर उसके साथ यौन संबंध स्थापित करे फिर चाहे वो लड़की की मर्जी के बिना हो तो भी यह गुनाह नहीं होगा। इस तरह की शादी को सम्पन्न होने से पहले रोक लिया गया तो परिजन जेल जाएंगे लेकिन यदि शादी सम्पन्न हो गई तो कोई कार्रवाई नहीं। 

एक गैर सरकारी संस्थान ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि आईपीसी की धारा 376 (2) को असंवैधानिक घोषित कर दिया जाए। IPC की धारा 376 (2) बलात्कार से जुड़ी है। इस धारा के मुताबिक 18 साल से कम उम्र की लड़की से साथ कोई शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे बलात्कार माना जाएगा लेकिन उसमें छूट दी गई है कि अगर लड़की की उम्र 15-18 के बीच हो और वो लड़की उस आदमी की पत्नी हो, तो उसे बलात्कार नहीं माना जाएगा।

एनजीओ 'इन्डीपेन्डेन्ट थॉट' का कहना है कि ये कानून चाइल्ड मैरेज या बच्चों की शादी को बढ़ावा देता है। ये धारा देश के कई धार्मिक रीति रिवाज और परंपरा को देख कर बनाई गई है। देश में कई ऐसी परंपराएं हैं जिसमें कम उम्र में शादी हो जाती है। सुनवाई के दौरान मुस्लिम, ईसाई और पारसी पर्सनल लॉ पर भी चर्चा हुई। इनके कानून में लड़की के बालिग होने के बाद शादी को जायज माना गया है। 

याचिकाकर्ता का कहना था कि तलाक-ए-बिद्दत की तर्ज पर इस कानून पर भी पाबंदी लगनी चाहिए। सुनवाई के दौरान सभी राज्यों ने चाइल्ड मैरेज के आंकड़े भी पेश किए। 16 से 18 साल की लड़कियों की शादी पर सभी राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में बाल विवाह को लेकर दर्ज हुए मामलों के बारे में कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपी।

देश भर में साल 2016 में बाल विवाह के 326 मामले दर्ज हुए, जिनमें 740 लोग गिरफ्तार किए गए। कोर्ट में 10 मामलों में दोष साबित हुआ और 35 लोगों को सज़ा सुनाई गई। इन मामलों में से आंध्रप्रदेश में 19, असम में 23, कर्नाटक में 51, तमिलनाडु में 55 और पश्चिम बंगाल में 41 मामले दर्ज हुए। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई अब चार हफ्तों बाद होगी।

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