भोपाल। राजधानी में 3 दिवसीय प्रवास पर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मप्र में भाजपा पर 10 साल से चढ़ा चोला एक झटके में उतार दिया है। पिछले कुछ सालों से मप्र में शिवराज सिंह का फैसला ही भाजपा का फैसला हुआ करता था परंतु अब हालात बदलने लगे हैं। संगठन पर शिवराज सिंह की पकड़ ढीली हो गई है। अब जो भी फैसले होंगे वो अमित शाह की मंशा के अनुरूप होंगे। बड़ी मुश्किल से मोदी को मना पाए शिवराज सिंह के सामने अब अमित शाह एक नई चुनौती बनकर सामने आ गए हैं।
बताया जा रहा है कि प्रदेश भाजपा में बदलाव की बयार के चलते कई नेताओं की पदों से छुट्टी हो सकती है। शाह को भोपाल से लौटे दो दिन पूरे हो गए हैं लेकिन प्रदेश भाजपा मुख्यालय में शाही दौरे का असर अब भी नजर आ रही है। अमित शाह के निर्देशों के मुताबिक प्रदेश संगठन में बदलाव की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। बैठकों में शाह की नाराजगी के शिकार कई पदाधिकारियों को पदों से रुखसत भी किया जा सकता है। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान अब तक 'शिवराज को ही सर्वेसर्वा' मानते रहे थे परंतु अब शाह के टिप्स के मुताबिक संगठन में बदलाव लाने की बात कह रहे हैं।
18 से 20 अगस्त तक शाह ने 56 घंटे में सोलह बैठकें ली। इन बैठकों के जरिए शाह ने प्रदेश के छोटे से लेकर बड़े नेताओं की दूरदर्शिता, संगठन की विस्तारवादी सोच और आगामी चुनावों की तैयारी का लिटमस टेस्ट किया। हर बैठक में शाह ने संगठन को और मजबूत करने के टिप्स दिए। शाह ने अपने दौरे के पहले दिन ही नंदकुमार सिंह को डपटकर मैसेज क्लीयर कर दिया था। नरोत्तम मिश्रा के यहां भोजन भी बड़ा संदेश दे गया है। इन सबके बीच फार्मूला 75 का मामला शिवराज सिंह एवं नंदकुमार सिंह की जोड़ी को संदेह के दायरे में ला गया।