प्याज घोटाले में मंत्री धुर्वे और हितेष वाजपेयी संदिग्ध: कांग्रेस का आरोप

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने किसानों से समर्थन मूल्य पर 8 रूपये प्रति किलो पर खरीदी गई प्याज और किसानों के साथ एक बार फिर की गई धोखाधड़ी में करीब 750 करोड़ रूपयों के भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाते हुए राजनैतिक संरक्षण प्राप्त नागरिक आपूर्ति निगम, मार्कफेड व बिचौलियों के गठजोड़ द्वारा सरकारी कोष में डाले गये इस डाके की जांच सीबीआई से कराये जाने की मांग की है। उन्होंने कहा इस घोटाले में खाद्य मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष डॉ. हितेष बाजपेयी की भी भूमिकाऐं भी संदिग्ध हैं। इधर हितेष बाजपेयी ने भोपाल समाचार से कहा कि के​के मिश्रा अनर्गल आरोप लगाने के लिए बदनाम हैं। उन्हे मैं गंभीरता से नहीं लेता। 

श्री मिश्रा ने सरकार पर कई प्रश्न दागते हुए कहा कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि मप्र में इस वर्ष प्याज की बोवनी का कुल रकबा कितना है, रकबे के आधार पर प्रदेश में प्याज का औसत उत्पादन क्या है, उत्पादन कितना हुआ, उत्पादन से 20 गुना अधिक की खरीदी कैसे हुई, उत्पादन की यह बढ़ी हुई मात्रा कहां से आई, खरीदी गई प्याज के खरीददार बिचौलियों को तत्काल भुगतान कैसे कर दिया गया। वास्तविक किसानों के 80 करोड़ रूपयों के भुगतान को क्यों रोका गया। नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी 17480 क्विंटल प्याज मार्कफेड पर बकाया बता रहे हैं और मार्कफेड के अधिकारी कह रहे हैं कि हमने सारी प्याज आपूर्ति निगम के अधिकारियों के सुपुर्द कर दी थी। तब उक्त गायब प्याज कहां है। जिस 40 हजार क्विंटल प्याज के सड़ने की बात कहीं जा रही है, उसे अन्यत्र फिकवाने, परिवहन व हम्माली में वास्तविक खर्च कितना आया। इस सड़ी प्याज के नुकसान का भार कौन वहन करेगा। वह बिचौलिया कौन है, जिसने 5 हजार क्विंटल प्याज 1 रूपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदी। 

नागरिक आपूर्ति निगम में वर्तमान में 5 महाप्रबंधक कार्यरत हैं, जिनमें  4 राज्य प्रशासनिक सेवा से संबद्ध है, गैर राज्य प्रशासनिक सेवा से 15 साल पहले प्रतिनियुक्ति पर आये पांचवे महाप्रबंधक श्रीकांत सोनी जो प्याज की नीलामी व परिवहन में हुए भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद आज जेल की सलाखों में बंद हैं उन्हें किसका राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है, उन्हें खरीदी और बिक्री करने का अधिकार वर्षों से किसके निर्देश पर जारी हुआ था?

श्री मिश्रा ने यह भी कहा कि किसानों से समर्थन मूल्य पर प्याज खरीदी के लिए सरकार ने 770 करोड़ रू. का प्रावधान रखा था, जो अन्य खर्च मिलाकर लगभग 11 सौ करोड़ रूपयांे की बर्बादी कर चुका है, इतनी बड़ी धनराशि यदि किसानों को मुआवजे के रूप में दे दी जाती तो प्याज के कारण आंसू बहा रहे किसानों के परिजनों को उनकी आत्महत्याओं के कारण आंसू बहाने से रोका जा सकता था! 

श्री मिश्रा ने सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के इस निर्णय को लेकर उसकी मंशा किसानों के हितार्थ न होकर उक्त सार्वजनिक हो चुके गठजोड़ के माध्यम से भारी भ्रष्टाचार करने की थी। सरकार ने प्याज खरीदी घोटाला-2016 से भी सबक नहीं लिया, जिसमें 62.45 करोड़ रूपयों की प्याज खरीदी में उसके भण्डारण, परिवहन, हम्माली एवं तुलाई में ही 44.24 करोड़ रू. का भुगतान कर दिया था, यह स्थिति सरकार के लिए भ्रष्टाचार को थामने का संकेत थी या उसे करने की प्रेरणा? 

श्री मिश्रा ने प्रदेश के मुखिया श्री शिवराजसिंह चौहान से आग्रह किया है कि यदि वे किसान पुत्र होने के नाते किसानों के वास्तविक हमदर्द हैं तो उन्हें प्रदेश में अब तक हुए विभिन्न महाघोटालों के बाद अब किसानों के नाम पर हुए इस महाभ्रष्टाचार की जांच सीबीआई को सौंपने की अनुशंसा कर देना चाहिए।  

अनर्गल आरोपों के लिए बदनाम हैं केके मिश्रा
नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष डॉ. हितेष बाजपेयी का कहना है कि केके मिश्रा के बयानों का कोई आधार नहीं होता। वो सोशल मीडिया पर उड़ रहीं अफवाहों के आधार पर प्रेसनोट जारी करते रहते हैं। यही कारण है कि वो मानहानि के मामले भी झेल रहे हैं। बाजपेयी ने कहा कि प्याज घोटाले की जांच चल रही है। कानून के सामने सब बराबर हैं। यदि मेरी संलिप्तता पाई गई तो मेरे खिलाफ भी कार्रवाई होगी। 

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