जबलपुर। हाई कोर्ट ने मध्यप्रदेश परिवाहन विभाग के सचिव तथा एमपी सड़क परिवाहन निगम के महाप्रबंधक के खिलाफ वारंट जारी कर दिए हैं। दोनों अधिकारियों पर आरोप है कि हाईकोर्ट के आदेश हो जाने के बावजूद उन्होंने कर्मचारियों को बैक वेजेस नहीं दिए। इस मामले में सरकार ने अपील दायर की थी परंतु वो भी खारिज हो गई। बावजूद इसके कर्मचारियों को बैक वेजेस नहीं दिए गए। हाईकोर्ट जस्टिस एसके सेठ व जस्टिस अंजुली पालो की डबल बेंच ने दोनों अधिकारियों को 11 सितम्बर को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने के आदेश दिए हैं।
भारतीय परिवाहन कर्मचारी संघ की तरफ से दायर की गई अवमानना याचिका में कहा गया था कि मप्र सड़क परिवाहन निगम में कार्यरत कर्मचारियों को सीआरएस प्रदान किया गया था। उन कर्मचारियों को बैंक वेजेस का लाभ प्रदान नहीं किया गया था। जिसके खिलाफ हाईकोट में याचिका दायर की गयी थी।
हाईकोर्ट ने कर्मचारियों को बैक बैजेस प्रदान करने के निर्देश दिये थे। जिसके खिलाफ सरकार ने अपील दायर की थी। सरकार की अपील खारिज होने के बावजूद भी कर्मचारियों को बैक बेजेस का लाभ प्रदान किया जा रहा है। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में उक्त आवमानला याचिका दायर की थी।
याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि अनावेदकों द्वारा आदेश के परिपालन में हीला-हवाली की जा रही है। जिसे गंभीरता से लेते हुए युगलपीठ ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी करते हुए उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने के निर्देश जारी किये है। याचिकाकर्ता की तरफ से एडवोकेट प्रवीण कुमार मिश्रा तथा सी एम तिवारी ने पैरवी की।