जो पत्नी एक कप चाय नहीं दे सकती, उसके लिए तलाक ही सही: हाईकोर्ट

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट में तलाक का एक नया मामला सामने आया। यहां एक पति को इसलिए तलाक की मंजूरी दे दी गई क्योंकि उसकी पत्नी उसे चाय-नाश्ता और खाना तक बनाकर नहीं देती थी। कोर्ट ने इसे हिंसा माना और तलाक की याचिका को उचित मानते हुए फैसला सुनाया। इससे पहले निचली अदालत ने भी तलाक की याचिका को सही पाया था परंतु पत्नी ने निचली अदालत के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान चाय-नाश्ता नहीं देने वाली पत्नी से परेशान पति की याचिका पर सुनवाई की और तलाक की अर्जी पर पति के पक्ष में फैसला सुनाया। दिल्ली हाइकोर्ट में जस्टिस दीपा शर्मा और जस्टिस हीमा कोहली की बेंच ने यह फैसला सुनाया। बेंच ने इस मामले की सुनवाई के दौरान जिन मुद्दों को आधार माना, उसके मुताबिक पति और पत्नी दोनों पिछले 10 साल से एक-दूसरे से अलग रह रहे हैं। अब उनका साथ रहना मुमकिन नहीं है, ऐसे में उनकी तलाक की अर्जी को मंजूरी दी जा रही है। 

तलाक के इस मामले में फैसला सुनाते हुए महिला जजों की पीठ ने जो तर्क दिए उसके मुताबिक, शारीरिक क्रूरता के प्रमाण तो दिए जा सकते हैं, लेकिन मानसिक क्रूरता को साबित करना मुश्किल होता है। कोर्ट ने आगे कहा कि जब पति-पत्नी की व्यवहार एक-दूसरे के प्रति बदलने लगे और वो दुखी रहने लगें तो ये क्रूरता का आधार है। इन्हीं तर्कों को मानते हुए कोर्ट ने फैसला सुनाया। 

बता दें कि अपनी पत्नी से परेशान पति ने तीस हजारी कोर्ट में तलाक अर्जी दी थी। पति ने अपनी तलाक की अर्जी में आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी उसे चाय, नाश्ता और खाना बनाकर नहीं देती थी। इससे वह काफी परेशान है और उसे पत्नी से तलाक लेने की अनुमति दी जाए। तीस हजारी कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद पति के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन पत्नी ने इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। जहां हाईकोर्ट ने भी तीस हजारी कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !