आदिवासी विभाग की विशिष्ठ संस्थाओं में पदस्थापना आदेश से शिक्षकों में रोष

मंडला। आदिवासी विकास विभाग की लगभग 140 विशिष्ठ शालाओं में शिक्षा गुणवत्ता लाने के लिये अधिक योग्य शिक्षकों का चयन कर उन्हे इन संस्थाओं में पदस्थापना देने के लिये ऑनलाइन परीक्षा विभाग द्वारा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में सम्मिलित शिक्षक और अध्यापकों को मेरिट के आधार पर चयन कर आयुक्त आदिवासी विकास विभाग द्वारा सीधे पदस्थापना आदेश जारी किये गये हैं। आदेश में सम्बंधित शिक्षक को निर्देशित किया गया है कि 10 दिन के अदंर कार्यभार ग्रहण करना आवश्यक है। 

साथ ही संस्था प्रमुख को निर्देशित किया गया है कि सम्बंधित शिक्षक को तत्काल कार्यमुक्त करें। उच्च अधिकारी द्वारा जारी इस आदेष से शिक्षा जगत में हडकम्प का माहौल है। क्योंकि ऐसे कम ही शिक्षक हैं जिन्हैं मन माफिक जगह पदस्थापना मिली है लेकिन अधिकांष को अपने घर परिवार से 200-300 किमी दूर तक पदस्थापना की गई है। श्रीमति रजंना पाण्डे इस पदस्थापना में सारी विसंगति इस बात को लेकर है कि शिक्षकों को पूरे 132 संस्थाओं के रिक्त पदों पर वरीयता क्रम का चयन करना अनिवार्य था ऐंसा न करने पर आनलाइन फार्म सबमिट नहीं हो रहा था। उल्लेखनीय बात ये है कि शिक्षकों की पसंद अधिकत्तम 3 या 4 जगह ही थी लेकिन फार्म भरने की शर्तो के चलते उन्हौने पूरे 132 रिक्त स्थानों के विकल्पों का चयन किया। 

मजे की बात ये है कि शिक्षकों का यह तय था कि 3-4 जो पसंद की जगह है यदि वे स्थान नहीं मिलते हैं तो उन्हैं जाना ही नहीं है इसके चलते उन्हौने शेष स्थानों पर बिना ध्यान दिये टिक कर दिया। नतीजा यह हुआ कि जिन्हैं जहां बिलकुल भी जाना पसंद नहीं है उन संस्थाओं का आर्डर कर दिया गया है। यद्यपि विज्ञापन की शर्तो में कहीं यह नहीं लिखा है कि परीक्षा में सम्मिलित अभ्यर्थी को जो पदस्थापना दी जायेगी वहां उसे जाना पडे़गा। 
चयन प्रक्रिया में उठते सवाल-इस पूरी कवायद में विभाग की मंशा यह थी कि इन विशिष्ठ शालाओं में किसी तरह से अधिक योग्य शिक्षकों की पूर्ति की जाये लेकिन विभाग के आला अधिकारी यह जानते हुये भी कि एक षिक्षक की स्वाभाविक सोच यह होती है कि उसकी पदस्थापना उसके घर परिवार के निकट ही हो। उसकी सुविधा अनुसार ही हो फिर भी शिक्षकों से सभी रिक्त पदों की च्वाइस भराना एकदम गलत निर्णय है। और अब उन्है मनमानी पदस्थापना देकर ज्वाइन करने बाध्य नहीं किया जा सकता है। 

कुछ प्रभावित शिक्षकों के नाम- योगेश श्रीवास्तव उनकी पत्नी महाराजपुर मण्डला में कार्यरत है उनकी पोस्टिंग उत्कृष्ट मण्डला से खरगौन की गई है इसी प्रकार रंजना पाण्डे इनके पति मण्डला डी.ई.ओ कार्यालय में कार्यरत है इनकी पदस्थापना उत्कृष्ट मण्डला से  बजाग की गई है सुनील सोनी पत्नी मण्डला सहकारी बैंक मण्डला में कार्यरत है उनकी पदस्थापना उत्कृष्ट मण्डला से  डिण्डोरी की गई है। आभा चौरसिया पति मण्डला एमपीबीई मण्डला में कार्यरत हैं उनकी पोस्टिंग उत्कृष्ट मण्डला से चुरहट सीधी की गई है। अस्मिता मिश्रा पति डी.पीसी कार्यालय मण्डला मे ं पदस्थ है उनकी पदस्थापना आईटी आई मण्डला से मेंहदवानी की गई है। श्रीमती प्रतिमा सिंह वरकड़े पति पषुपालन विभाग महराजपुर मण्डला में कार्यरत है उनकी पदस्थापना पाठासिहोरा मण्डला से राणापुर झाबुआ की गई है। 

विशिष्ठ शालाएं ये हैं- गुरूकुलम आवासीय विद्यालय,एकलव्य आवासीय आदर्ष विद्यालय,कन्या षिक्षा आवासीय परिसर,उत्कृष्ट उ.मा.वि.,आदर्ष आवासीय उ.मा.वि., अनूसूचित जाति विकास विभाग द्वारा ज्ञानोदय विद्यालय।

पूरी प्रक्रिया शिक्षक और अध्यापकों पर दबाव पूर्ण रही है पहले अधिकारियों द्वारा दबाव देकर आवेदन कराया गया चयन होने पर काउंसलिंग प्रक्रिया न अपना कर सीधे उच्च अधिकारी द्वारा आदेष जारी कर ज्वाइन करने हेतु दबाव बनाया जा रहा है। हमारा प्रतिनिधि मण्डला आयुक्त आदिवासी विकास दीपाली रस्तोगी से मंगलवार को मुलाकात करेगा समस्या का हल नहीं निकलने पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जायेगा।

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