राकेश दुबे@प्रतिदिन। 9 बड़े रेल हादसों के बाद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कुछ ट्वीट किए। उनका तर्क है “तीन साल से कम वक्त में मैंने अपना खून-पसीना रेलवे को सुधारने में लगाया। पीएम की लीडरशिप में दशकों पुराने सिस्टम को सुधारने और रेलवे में इन्वेस्टमेंट की कोशिश की। नए भारत के लिए पीएम चाहते हैं कि रेलवे बेहतर और मॉडर्न बने। मैंने इस वादे को पूरा करने की कोशिश की। रेलवे प्रोग्रेस की इसी लाइन पर आगे बढ़ रहा है। लेकिन, हाल के हादसों से मैं बहुत दुखी हूं। कुछ पैसेंजर्स को जान गंवानी पड़ी। पीएम से मिलकर इन हादसों की जिम्मेदारी ली। पीएम ने मुझसे इंतजार करने के लिए कहा है।“ प्रधानमंत्री 25 अगस्त से 4 सितम्बर के बीच अपने मंत्रिमंडल में वैसे भी फेरबदल करने वाले हैं, प्रभु का “डिरेल” होना तय माना जा रहा है।
तीन सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन को रवाना हो जाएंगे। इससे पहले 18 अगस्त से पहले कैबिनेट में फेरबदल की योजना थी, लेकिन जेडीयू के साथ गठबंधन ने इस प्रक्रिया को थोडा आगे बड़ा दिया है। आज नीतीश कुमार दिल्ली में इस मामले पर चर्चा करेंगे। बिहार के गठ्बन्धन की यही परिणति संभावित थी। कैबिनेट में फेरबदल के अलावा सरकार विभिन्न राज्यों के राज्यपाल के नामों की घोषणा कर सकती है, जिसमें तमिलनाडु और बिहार के राज्यपाल भी शामिल हैं। इसके अलावा कुछ मंत्रियों को 2019 के चुनाव के मद्देनजर पार्टी में भेजा जा सकता है।
मोदी सरकार में अभी ऐसे कई मंत्री हैं जिनके पास एक से ज्यादा महत्वपूर्ण मंत्रालय हैं। मनोहर पर्रिकर के गोवा का मुख्यमंत्री बनने के बाद अरुण जेटली के पास तो वित्त और रक्षा जैसे दो बड़े मंत्रालय का भार है। चीन के साथ सीमा विवाद को देखते हुए एक पूर्णकालिक रक्षा मंत्री की जरूरत साफ दिखती है। एम वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनाए जाने के बाद सूचना-प्रसारण मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय खाली हुए। सूचना प्रसारण का अतिरिक्त काम-काज कपड़ा मंत्री स्मृति इरानी को मिला, तो शहरी विकास मंत्रालय नरेंद्र सिंह तोमर के पास है। इसी तरह अनिल माधव दवे के मई में निधन के बाद से केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन उनके पर्यावरण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं।
दिल्ली में कयास है कि नितिन गडकरी को नया रेलमंत्री होंगे और रेल मंत्रालय के लिए सुपर परिवहन मंत्रालय की उस अवधारणा को मूर्त रूप देने की होगी जो 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद एक विचारके रूप में सामने आया था। यह देखना दिलचस्प होगा कि मोदी अरुण जेटली से कौन सा मंत्रालय वापस लेते हैं।
इस फेरबदल में रक्षा मंत्रालय समेत 4 बड़े मंत्रालयों पर फैसला हो सकता है। वहीं काम ना करने वाले मंत्रियों की छुट्टी भी। 2019 के लोकसभा चुनावों का भी ध्यान रखा जाएगा। इस कारण कुछ नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। दक्षिण के कुछ चेहरे पीएम मोदी के कैबिनेट में दिखाई दे सकते हैं। वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने के बाद से भी उनकी जगह के लिए एक नए चेहरे की तलाश हो रही है जो बीजेपी के तार दक्षिण भारत से जोड़ सके। यह बदलाव किसके लिए शुभ होगा, किसके लिए फायदेमंद अंदाज़ ही लगाया जा सकता है, पर “प्रभु का डिरेल होना” लगभग तय दिखता है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए