डोकलाम विवाद पर रूस ने दिया चीन को जवाब

नई दिल्ली। भारत और रूस की तीनों सेनाओं की एक साथ होने जा रही मिलिट्री ड्रिल से चीन घबराया हुआ है। चीन को डर है कि रूस के साथ आ जाने से भारत मजबूत होगा और चीन कमजोर हो जाएगा। डोकलाम विवाद पर पहली बार रूस ने अपना पक्ष प्रस्तुत किया है। रूप से स्पष्ट किया है कि भारत और रूस के बीच होने जा रही मिलिट्री ड्रिल चीन के खिलाफ नहीं है। रुस का मानना है कि दोनों दुनिया के जिम्मेदार देश हैं और मामले का ऐसा हल निकाल लिया जाएगा जो दोनों देशों को मंजूर हो। 

रूस की फॉरेन मिनिस्ट्री ने भारत के साथ होने वाली ज्वॉइंट मिलिट्री ड्रिल पर पहली बार चीन का जिक्र किया है। रूसी फॉरेन मिनिस्ट्री की स्पोक्सपर्सन मारिया जखारोवा ने कहा- हम किसी एक देश के साथ जब मिलिट्री एक्सरसाइज करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि उससे किसी दूसरे देश को खतरा है। हम सभी देशों से बेहतर रिश्ते रखना चाहते हैं। मारिया से चीन की न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने ही भारत-रूस ज्वॉइंट आर्मी ड्रिल पर सवाल पूछा था। चीन के मीडिया में भारत-रूस आर्मी ड्रिल को लेकर तमाम तरह की चिंताएं जताई जा रही हैं।

डोकलाम पर रूस का नजरिया
भारत और चीन के बीच डोकलाम में जारी विवाद पर जब मारिया से सवाल किए गए तो उन्होंने कहा- हमें नई दिल्ली और बीजिंग पर पूरा भरोसा है। दोनों ही दुनिया के जिम्मेदार देश हैं। हम चाहते हैं कि भारत और चीन इस मामले का ऐसा हल निकालें जो दोनों देशों को कबूल हो। 

क्या है इन्द्र 2017
भारत और रूस की तीनों सेनाएं 19 से 29 अक्टूबर तक रूस में ही आर्मी ड्रिल करेंगी। इसे ‘इन्द्र 2017’ नाम दिया गया है। भारत और रूस पहले भी ज्वॉइंट आर्मी ड्रिल करते रहे हैं। लेकिन, ये पहली बार है कि भारत और रूस की तीनों सेनाएं एक साथ और एक ही जगह ये ड्रिल करेंगी। भारत के टोटल, 350 सैनिक इस ड्रिल के लिए रूस जाएंगे। इस ड्रिल में काउंटर टेरेरिज्म ऑपरेशंस पर भी फोकस किया जाएगा। दोनों देशों में कई बार आतंकी हमले हुए हैं। लिहाजा, काउंटर टेरेरिज्म ऑपरेशंस को भी ड्रिल में शामिल किया गया है। नरेंद्र मोदी जब हाल ही में रूस गए थे तब दोनों देशों के बीच, मिलिट्री कोऑपेरशन बढ़ाने पर करार हुआ था।

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