नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत की लंबी तलाक प्रक्रिया के कारण महिलाओं को फैमिली पेंशन से वंचित रखने वाले मामले में हस्तक्षेप किया है। नई व्यवस्था के तहत, यदि किसी सरकारी कर्मचारी के सेवा में रहते या पेंशन पाने के दौरान बेटी के तलाक की प्रक्रिया शुरू होती है और तलाक मिलने से पहले माता या पिता की मौत हो जाती है, तो भी बेटी को तलाक मिलने की तारीख से पेंशन मिलेगी। दो हफ्तों पहले नियमों में यह बदलाव किया गया है। सरकार के उच्च अधिकारियों के हस्तक्षेप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में कार्मिक मंत्रालय व वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में व्यय विभाग के बीच परामर्श के बाद यह कदम उठाया गया है। सभी मंत्रालयों को नियम में किए गए बदलाव के बारे में सूचित कर दिया गया है।
अब तक यह थी व्यवस्था
साल 2004 तक सरकारी नियमों के मुताबिक, फैमिली पेंशन मृतक सरकारी कर्मचारी के पति या पत्नी को दी जा सकती है। उसकी मौत होने के बाद यदि उन पर निर्भर बच्चे 25 वर्ष से अधिक के हैं या उनकी शादी हो गई है, तो ही उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी।
साल 2004 में यह नियम बनाया गया था कि तलाकशुदा या विधवा की बेटी के मामले में उम्र सीमा का कोई प्रतिबंध नहीं होगा। वे 25 साल की होने के बाद भी परिवार पेंशन के लिए पात्र होंगी। इस पेंशन को पाने के लिए आय की अर्हता तय की गई थी।
19 जुलाई को दिए गए एक आदेश में कार्मिक मंत्रालय ने कहा है कि उसे कई शिकायतें मिल रही थीं कि तलाक की कार्यवाही लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया है। कई मामलों में एक सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी की बेटी की तलाक की कार्यवाही उनके जीवनकाल के दौरान सक्षम न्यायालय में शुरू होती है, लेकिन तलाक के डिक्री जब तक मिलती है, तब तक वे जीवित नहीं रहते हैं।